Friday, December 30, 2011
Thursday, December 29, 2011
कविता : गीत ........
अकेले चलो तुम ......
न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम
सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी
सदा जो बिना जगाये ही जगा है
अँधेरा उसे देखकर ही भगा है
वंही बीज पनपा पनपना जिसे था
धुना क्या किसके उगाये उगा है
अगर उअग सको तो उगो सूर्य से तुम
प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी
सही राह को छोड़कर जो मुड़े है
वही देखकर दूसरों को कुढ़े है
बिना पंख तोले जो गगन में उड़े है
न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े है
अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम
प्रखरता तुम्हारे कदम चूम लेगी
न जो बर्फ की आँधियों से लड़े है
कभी पगा न उनके शिखर पर पड़े है
जिन्हें लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से है
वही जी चुराकर तरसते खड़े है
अगर जी सको तो जियो झूम कर
अमरता तुम्हारे कदम चूम लेगी ...
न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम
सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी
सदा जो बिना जगाये ही जगा है
अँधेरा उसे देखकर ही भगा है
वंही बीज पनपा पनपना जिसे था
धुना क्या किसके उगाये उगा है
अगर उअग सको तो उगो सूर्य से तुम
प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी
सही राह को छोड़कर जो मुड़े है
वही देखकर दूसरों को कुढ़े है
बिना पंख तोले जो गगन में उड़े है
न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े है
अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम
प्रखरता तुम्हारे कदम चूम लेगी
न जो बर्फ की आँधियों से लड़े है
कभी पगा न उनके शिखर पर पड़े है
जिन्हें लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से है
वही जी चुराकर तरसते खड़े है
अगर जी सको तो जियो झूम कर
अमरता तुम्हारे कदम चूम लेगी ...
सनी कक्षा ५,
अपना स्कूल, तम्साहा, कानपुर
Saturday, December 24, 2011
शीर्षक: - पैसा की है रैसा
पैसा की है रैसा
यदि पैसा होता मेरे पास ,
तो आज भी मेरे दिन होते खास |
गले में होती रुमाल ,
हाथ में होता मोबाईल |
बड़े बड़े कराते अपने बाल ,
चलते हीरो वाली चाल |
कोई न होता मेरे जैसा ,
क्योंकि मेरे पास है पैसे की रैसा |
नाम : - धारो
कक्षा : - एक
सेंटर : - मेरा ब्रिक फील्ड
Thursday, December 1, 2011
कविता : दिल्ली की बिल्ली
दिल्ली की बिल्ली
दिल्ली से बिल्ली मंगवाई ,
खाती है वह दूध मलाई |
काली काली , मोटी मोटी ,
पूँछ बड़ी है आँखे छोटी |
चूहे जब बिल्ली की हैं आहट पाते,
डर कर बिल में छिप जाते |
जब मै इसको दूध पिलाऊं ,
तब करती यह म्याऊं म्याऊं |
नाम : सलेहा
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , पनकी पड़ाव
Sunday, November 27, 2011
कविता : बदल छाये
कविता : बदल छाये
बदल छाये काले काले ,
हैं ये देखो कितने प्यारे |
आसमान में छिप जाते तारे ,
देखो ये कैसे चमचमाते |
लगते देखो ये कितने प्यारे ,
देखो है ये कितने सारे |
बदल छाये काले काले ,
हैं ये देखो कितने प्यारे |
नाम :शिवम् कुमार
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल ,
Friday, November 25, 2011
Tuesday, November 15, 2011
कविता : रंग बिरंगी तितली
रंग बिरंगी तितली
फुदक रही है फूल फूल पर,
कोमल पंख पसारे |
रंग बिरंगे पंख है इसके ,
सुंदर प्यारे प्यारे |
हाथ कभी न इसको लगाना ,
पकड़ोगे यो उड़ जाएगी
फिर न हाथ आ आएगी |
नाम : ज्योति
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Saturday, November 12, 2011
कहानी : खरगोश और कौआ
खरगोश और कौआ
बहुत समय पहले की बात है | एक कौआ था , उसका एक मित्र था खरगोश | वह उसके साथ रोज खेलने के लिए जंगल जाता था | एक दिन खरगोश खेलते - खेलते एक नाले में गिर गया | कौआ ने कहा कि अब मई क्या करूँ | तभी वहां से एक हाथी आता दिखाई दिया | कौए ने हाथी से कहा कि वह खरगोश को नाले बाहर निकाल दे | हाथी ने कि पहले वह मुझे केला खिलाय तभी मई खरगोश को बाहर निकलेगा | कौआ जल्दी से एक केले के पेड़ के पास गया और केला तोड़ लाया | जब वह रास्ते से आ रहा था तभी उसे एक घोड़े ने रोक लिया और कहा कि ये केला कहाँ लिए जा रहे हो | कौए ने जबाब दिया कि ये केला मै हाथी के लिए ले जा रहा हूँ | घोड़े ने कहा कि पहले मेरे पैर से काँटा निकाल दो फिर चले जाना | कौए ने जल्दी से काँटा निकाल दिया | फिर वह सीधे हाथी के पास गया | उसने हाथी को केला दिया | पहले हाथी ने केला खाया फिर खरगोश को सूंड से नाले के बाहर निकाल दिया इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें सभी कि मदद करनी चाहिए |
धन्यवादनाम : काजल
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Wednesday, November 9, 2011
कविता : तोता भैया
तोता भैया
तोता हूँ मैं तोता हूँ ,
हरे रंग का तोता हूँ |
हरी मिर्च मैं खाता हूँ ,
आसमान में उड़ जाता हूँ |
पसंद नहीं मुझे पिंजड़े में रहना ,
मुझे तो है खुले आसमान में उड़ना |
नाम : सूरज कुमार
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
कविता : रसीला सेब
रसीला सेब
सेब हूँ मै सेब हूँ ,
सबसे मीठा सेब हूँ |
सेब होता है रसीला ,
रंग है इसका लाल पीला |
मुझको ही सब खाते हैं ,
खूब मजे से खाते है |
सेब हूँ मै सेब हूँ ,
सबसे मीठा सेब हूँ |
नाम : कोमल
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Monday, November 7, 2011
कविता : लाल पीला सेब
लाल पीला सेब
सेब हूँ मै सेब हूँ ,
लाल पीला सेब हूँ |
सबसे मीठा सेब हूँ ,
मुझको ही सब खाते हैं |
खूब मजे से खाते हैं ,
सेब हूँ मै सेब हूँ ,
लाल पीला सेब हूँ |
नाम : कोमल
कक्षा : 5th
सेंटर अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Sunday, November 6, 2011
कविता : खरगोश भैया
खरगोश भैया
खरगोश है यह खरगोश है ,
कितना सुंदर खरगोश है |
लाल लाल है गाजर खाता ,
लाल लाल है वो हो जाता |
उछल कूद है ये खूब करता ,
लेकिन कुत्ते बिल्ली से डरता |
खरगोश है यह खरगोश है ,
कितना सुंदर खरगोश है |
नाम: मानवी
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Saturday, November 5, 2011
कविता : मछली रानी
मछली रानी
मछली है ये मछली है ,
रंग- रंगीली ये मछली है |
पानी में है यह रहती ,
बाहर कभी न यह निकलती |
बाहर निकलने से है ये डरती ,
पानी को है ये गन्दा करती |
मछली है ये मछली है ,
रंग- रंगीली ये मछली है |
नाम : काजल
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Wednesday, November 2, 2011
कविता : आलू भैया
आलू भैया
आलू हूँ मैं आलू हूँ ,
गोल मटोल आलू हूँ |
सब्जी मै जब बन जाता हूँ ,
सब बच्चों को मैं तब भाता हूँ |
नाम : चन्दन कुमार
कक्षा : 1st
सेंटर : अपना स्कूल , मेरा भट्टा
Tuesday, November 1, 2011
कविता : हाथी दादा
हाथी दादा
हाथी दादा आता है ,
गन्ने, पत्ते खाता है |
जब पानी में जाता है ,
भर- भर सूंड नहाता है |
नाम: सनुजवा
कक्षा : 1st
सेंटर : अपना स्कूल , कालरा
कविता : कोयल
कोयल
कोयल गीत गति है ,
हमको बहुत सुहाती है |
इसको कोई मारो ना,
इसको कोई भगाओ ना |
नाम : सजनी कुमारी
कक्षा :1st
सेंटर : अपना स्कूल , कालरा
Monday, October 31, 2011
कविता : मोर
मोर
वह देखो आता मोर,
चुनचुन दाने खाता मोर|
सबसे सुंदर है यह मोर ,
है अच्छा नाच दिखाता मोर |
वह देखो आता मोर,
कितना प्यारा है यह मोर|
नाम : अजय कुमार
कक्षा : 1st
सेंटर : अपना स्कूल , कालरा भट्टा
कविता :नाव चली
नाव चली
नाव चली भाई नाव चली ,
चुन्नू जी की नाव चली |
चली चली उस पर चली ,
छप छप करती नाव चली|
नाम : संदीप कुमार
सेंटर : अपना स्कूल , कालरा
Saturday, October 22, 2011
कविता : काला कौआ
काला कौआ
कौआ होता है काला,
और होता है बड़ा मतवाला |
करता है वह काँव काँव ,
जाता है वह गाँव गाँव |
जूठा सबका है ये खाता,
काँव काँव नहीं इसका भाता |
नाम : नीरज कुमार
कक्षा : 3rd
Monday, October 17, 2011
कविता : सफ़ेद खरगोश
सफ़ेद खरगोश
खरगोश है ये खरगोश है ,
सफ़ेद रंग का खरगोश है |
सबसे सुंदर खरगोश है ,
लाल गाजर है ये खाता|
पूंछ हिलाते है ये जाता ,
खरगोश है ये खरगोश है |
सफ़ेद रंग का खरगोश है,
नाम : अंकित कुमार
कक्षा : 4th
अपना स्कूल धामीखेड़ा
Wednesday, October 12, 2011
कविता - गुलाब
गुलाब
काँटों में खिलते हैं लाल गुलाब ,
खुशबू है जिसके अन्दर वह है गुलाब |
गुलाब गुलाबी और होते हैं सफ़ेद ,
जब महके तो खोले सबके भेद |
गुलाब के रंगों की जब होती है बौछार ,
उसकी महक से बढ़ता प्यार ही प्यार |
काँटों में खिलते हैं लाल गुलाब ,
खुशबू है जिसके अन्दर वह है गुलाब |
नाम : संगीता देवी
कक्षा : 2th
सेंटर : अपना स्कूल धामीखेड़ा
कानपुर |
Thursday, September 22, 2011
फूल
फूल
फूल हूँ , मै फूल हूँ |
कितना सुन्दर फूल हूँ ,
सबको खुशबू देता हूँ |
रंग बिरंगा फूल हूँ ,
अच्छी खुशबू देता हूँ ,मै |
अंकित , ४
अपना स्कूल
Wednesday, September 21, 2011
कहानी : दो लडको की
कहानी : दो लडको की
बहूत समय पहले की बात है | एक गांव मे दो लड़के रहते थे | एक का नाम था राम व दूसरे का नाम था , श्याम दो ही घनिष्ट मित्र थे | राम और श्याम के घर के पीछे एक जंगल था | और जंगले के पास ही एक नदी थी | राम और श्याम के अन्दर गाना सीखने की बड़ी लगन थी | राम और श्याम दोस्तों के साथ जंगल गय | नदी के पास बैठ कर गाना गाने लगे | और इनका गाना मगरमच्छ ने सुन लिया मगरमच्छ ने फिर अपने मन मे सोचा हमें राम और श्याम से गाना सीखना चाहिये उसके बाद मगरमच्छ ने राम और श्याम से दोस्ती कर ली| इसके बाद राम और श्याम ने मगरमच्छ को गाना सिखा दिया | और मगरमच्छ सभी मगरमच्छो का गायक बन गया| नाम : सूरज
कक्षा : 5
सेण्टर ; अपना स्कूल ,
धामीखेड़ा
बूढा उल्लू
बूढा उल्लू
एक बूढा उल्लू पेड़ो पर रहता था |
चिड़िया के बच्चो की देखा - भाल करता था ,
अच्छा खाना खाता था |
बड़े मजे मे रहता था ,
नाम: संगीता
कक्षा : 3
सेण्टर : अपना स्कूल , धमीखेड़ा
Monday, September 19, 2011
मेरी नाव
मेरी नाव
डगमग .डगमग नाव चल रही है |
धारा के साथ नाव बह रही है ,
नाव को चप्पू से खूब चलाते है |
नाव को पानी मे खूब दौड़ाते है ,
नाम : संगीता
कक्षा : 5
सेण्टर : अपना स्कूल धामीखेड़ा
Sunday, September 18, 2011
घोड़ा आया
कविता : घोड़ा आया
राजा आये राजा आये ,
साथ मे अपने घोड़ा लाये |
राजा बोले बारात चलो जी ,
साथ मे अपने घोड़ा ले चलो जी |
घोडा अपने साथ जायेगा ,
भरपूर पूड़ी सब्जी खायेगा |
राजा जी को खूब मजा आयेगा ,
फिर अपने घर जायेगा |
नाम : सनी
कक्षा : 5
सेण्टर : अपना स्कूल तमसहा
कहानी :यह मेरा भाई है
यह मेरा भाई है
बहुत समय पहले की बात है , एक गाँव में कई लोग तीर्थ पर निकले | वे सभी लोग एक पहाड़ी पर पहुंचे | उस टोली में एक बारह साल की लड़की थी और उसका एक लगभग चार साल का भाई भी था | उन सभी लोगों को उस पहाड़ी को पर करना था | सभी लोग उस पहाड़ी को पार करने लगे | लड़की ने अपने भाई को पीठ पर बैठा लिया और उस पहाड़ी को पार करने लगी यह देखकर एक आदमी ने उससे पूंछा इतना बोझ लेकर क्यों चढ़ रही हो | फिर लड़की ने कहा की यह बोझ नहीं है यह तो मेरा भाई है |
नाम : संगीता कुमारी
कक्षा : 3rd
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Friday, September 16, 2011
कहानी : भूखा शेर और चालांक लोमड़ी
भूखा शेर और चालांक लोमड़ी
एक शेर जंगल में घूम रहा था | उसको बहुत तेज की भूख लगी हुई थी | वह भोजन की तलाश की में इधर - उधर पूरे जंगल में घूम रहा था | जब उसे खाने को कुछ ना मिला तो वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया | फिर वहीँ से एक लोमड़ी गुजरी | उसने शेर को उदास बैठे देखा | वह तुरन्त समझ गयी की शेर इस समय भूखा है | वह शेर के पास गयी और बोली क्या आपको भूख लगी है | शेर ने कहा हाँ | फिर लोमड़ी ने कहा चलो कहीं चलकर शिकार करते हैं | ऐसा उसने इसलिए कहा क्योंकि लोमड़ी को भी भूख लगी थी और वह शेर का सहारा लेना चाहती थी | वे दोनों शिकार पर निकल गए | थोड़ी ही देर में उन्हें एक हिरन दिखाई पड़ा और उन दोनों ने उसका शिकार कर लिया और उन दोनों ने भर पेट भोजन किया |
नाम : विशाल कुमार
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Thursday, September 15, 2011
कहानी :समझदार चूहा
समझदार चूहा
एक दिन की बात है एक चूहा झूला झूल रहा था | वहीँ पर एक दिन बिल्ली आ गयी और बोली वाह, कितना अच्छा भोजन मिल गया | चूहा बोला नही - नहीं बिल्ली मौसी मुझे मत खाओ मै नन्हा मुन्हा चूहा हूँ | मै अभी पढ़ना लिखना और खेलना चाहता हूँ | तुम अगर मुझे खा लोगी तो मै पढ़ लिख कर आगे नहीं बढ़ सकूंगा | बिल्ली को रोना आ गया और बिल्ली चूहे से बोली बेटा तुम खूब पढ़ो लिखो मै तुम्हे नहीं खाऊँगी मै अपना भोजन दूसरा ढूंढ लूंगी | चूहा कूदता फांदता चला गया और बिल्ली अपना दूसरा भोजन ढूँढने चली गयी | फिर बिल्ली को एक और मोटा ताजा चूहा मिला और बिल्ली ने उसे खा लिया | उसका पेट भर गया और बिल्ली अपने घर चली गयी और चूहा ख़ुशी ख़ुशी खेलने लगा |
नाम : ज्योति
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Friday, September 9, 2011
कविता :मेरी नाव
मेरी नाव
एक नाव मैंने बनाई ........,
एक नाव मैंने बनाई ........,
बड़ी ख़ुशी से पानी में तैराई |
एक मेढ़क था उस पानी में ,
कूदा वो बड़ी नादानी में ..|
फिर मेरी नाव गई उलट ...,
पुलट गई और डूबी पानी में |
एक मेढ़क था उस पानी में ,
कूदा वो बड़ी नादानी में ..|
फिर मेरी नाव गई उलट ...,
पुलट गई और डूबी पानी में |
नाम : शालू
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Friday, September 2, 2011
कविता : आलू
आलू
आलू है यह आलू है ,
गोल मटोल आलू है......|
बाजारों में है यह बिकता,
सस्ते दाम में है यह मिलता |
भूख मिटाना इसका काम ,
सबसे अच्छा इसका नाम |
गोल मटोल आलू है......|
बाजारों में है यह बिकता,
सस्ते दाम में है यह मिलता |
भूख मिटाना इसका काम ,
सबसे अच्छा इसका नाम |
नाम : अंकित कुमार
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल ,धामीखेड़ा
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल ,धामीखेड़ा
Thursday, September 1, 2011
कविता : केला
केला
केला बोला मुन्नू आओ ,
मुझे छीलो और खाओ |
छिलका कूड़े में ही फेंकना,
सड़क पर कभी न फेंकना |
मुझे छीलो और खाओ |
छिलका कूड़े में ही फेंकना,
सड़क पर कभी न फेंकना |
नाम : दुर्गा
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , पनकी
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , पनकी
Sunday, August 28, 2011
कविता : आसमान में तारे
आसमान में तारे
आसमान में चमके तारे.......,
कितने सुंदर और कितने प्यारे|
दिन में ये चमक न पाते ,
रात में ये सबको बुलाते |
टिम टिम करये गाना गाते ,
सबके मन को वह बहलाते |
इसीलिए तो लगते ये सबको प्यारे,
कितने सुंदर और कितने प्यारे |
कितने सुंदर और कितने प्यारे|
दिन में ये चमक न पाते ,
रात में ये सबको बुलाते |
टिम टिम करये गाना गाते ,
सबके मन को वह बहलाते |
इसीलिए तो लगते ये सबको प्यारे,
कितने सुंदर और कितने प्यारे |
नाम : दीपक कुमार
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Saturday, August 27, 2011
कविता : टिमटिमाते तारे
टिमटिमाते तारे
टिम टिम कर टिमटिमाते तारे ,
टिम टिम कर टिमटिमाते तारे |
देखो ये लगते हैं कितने प्यारे ,
दिन में तारे है छिप जाते |
देखो कैसे ये हैं चमचमाते ,
कितने अच्छे कितने प्यारे|
देखो ये हैं कितने सारे ,
टिम टिम कर टिमटिमाते तारे |
देखो ये लगते हैं कितने प्यारे|
देखो ये लगते हैं कितने प्यारे ,
दिन में तारे है छिप जाते |
देखो कैसे ये हैं चमचमाते ,
कितने अच्छे कितने प्यारे|
देखो ये हैं कितने सारे ,
टिम टिम कर टिमटिमाते तारे |
देखो ये लगते हैं कितने प्यारे|
नाम : शिवम् कुमार
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Friday, August 26, 2011
कविता : ढोलक वाला
आया ढोलक वाला
देखो बच्चो ढोलक वाला आया है |
डम डम डमरू खूब बजाया है,
फिर वह नाच दिखाता है |
सबके मन को भाता है ,
देखो बच्चो ढोलक वाला आया है |
डम डम डमरू खूब बजाया है|
देखो बच्चो ढोलक वाला आया है |
डम डम डमरू खूब बजाया है,
फिर वह नाच दिखाता है |
सबके मन को भाता है ,
देखो बच्चो ढोलक वाला आया है |
डम डम डमरू खूब बजाया है|
नाम :सूरज कुमार
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Thursday, August 25, 2011
कविता : हरियाली
हरियाली
मन भाई आई हरियाली ,
घर आँगन में आई हरियाली |
हरियाली ही हरियाली आई ,
हरियाली आई अब फूल खिलाई |
फूल के संग फल भी लाई ,
हरियाली आई वर्षा लाई |
वर्षा ही अब वर्षा लाई ,
मन भाई आई हरियाली |
घर आँगन में आई हरियाली ,
हरियाली आई मन को भाई |
हरियाली आई मन में भाई |
नाम : शिवम् कुमार
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
मन भाई आई हरियाली ,
घर आँगन में आई हरियाली |
हरियाली ही हरियाली आई ,
हरियाली आई अब फूल खिलाई |
फूल के संग फल भी लाई ,
हरियाली आई वर्षा लाई |
वर्षा ही अब वर्षा लाई ,
मन भाई आई हरियाली |
घर आँगन में आई हरियाली ,
हरियाली आई मन को भाई |
हरियाली आई मन में भाई |
नाम : शिवम् कुमार
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Friday, August 12, 2011
कविता : गुड्डा
गुड्डा
गुड्डा राजा है बड़ा ही ताजा ,
झम झम कर ये है नाच दिखाता |
डम डम कर है ये बाजा बजाता ,
सब के मन को है ये भाता |
नाम : रवि कुमार
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपन स्कूल ,नहर कोठी
Thursday, August 11, 2011
कविता : मछली
मछली
रंग - बिरंगी ये प्यारी मछली ,
कितनी अच्छी कितनी प्यारी |
लाल सुनहरी पीली मछली ,
जल की रानी है ये न्यारी |
रंग - बिरंगी ये प्यारी मछली ,
कितनी अच्छी कितनी प्यारी |
लाल सुनहरी पीली मछली ,
जल की रानी है ये न्यारी |
नाम : विपिन कुमार
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , नहर कोठी
Tuesday, August 9, 2011
कविता : घोडा
घोडा
बच्चों देखो देखो ये घोडा है
कितना अच्छा ये घोडा है
जब भी ये कोड़ा है खाता
तभी यह है रेस लगाता
बच्चों देखो देखो ये घोडा है
कितना अच्छा ये घोडा है
जब भी ये कोड़ा है खाता
तभी यह है रेस लगाता
नाम : नीरज कुमार
कक्षा : 3rd
सेंटर : अपना स्कूल , नहर कोठी
कक्षा : 3rd
सेंटर : अपना स्कूल , नहर कोठी
कविता : हाथी
हाथी
एक हाथी का बच्चा था |
उम्र का वो कच्चा था |
खूब गन्ने खाता था |
मौज खूब उड़ाता था|
एक हाथी का बच्चा था |
उम्र का वो कच्चा था |
खूब गन्ने खाता था |
मौज खूब उड़ाता था|
नाम : विमलेश
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , नहर कोठी
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , नहर कोठी
कविता : टोपी
टोपी
टोपी प्यारी प्यारी है |
होती सबसे न्यारी है |
धूप से ये हमको बचाए |
सबके माँ को ये भाए|
टोपी प्यारी प्यारी है |
होती सबसे न्यारी है |
धूप से ये हमको बचाए |
सबके माँ को ये भाए|
नाम : नीरज
कक्षा : 3rd
सेंटर : नहर कोठी
कक्षा : 3rd
सेंटर : नहर कोठी
Friday, August 5, 2011
कविता : मन करता है
मन करता है
मन करता है मैं उड़ जाऊ ,
मन करता है कि मै |
आसमान पर घर बनाऊ,
मन करता है कि |
चाँद के साथ खेलूं मैं,
मन करता है कि |
मैं आकाश को छू लूँ ,
नदी के किनारे पानी पिऊ |
बैठ डाल पर गाना गाऊ ,
फिर मैं बिस्तर में सो जाऊ |
नाम : सूरज कुमार
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Thursday, August 4, 2011
कवितायेँ
कवितायेँ
1 जब भूखी मुन्नी रोई .....,
तब मम्मी ने बोतल धोई |
पापा ने तब झट आग जलाई,
मैंने तब लम्बी तान लगाई |
2 मुन्ना मुन्नी चढ़े पेड़ पर ,
देख लगे हैं अखरोट |
टूटी डाली गिर गया मुन्ना ,
हो गई मुन्नी लोट पोट |
3 हूँ मै छोटा सा माली .......,
पौधे लगा कर खाद है डाली |
क्यारी क्यारी मेरी प्यारी प्यारी ,
सब्जी बोई न्यारी न्यारी |
4 सर्कस का मै हाथी हूँ ,
बंदर का मै साथी हूँ |
बच्चों का मैं साथी हूँ,
हँसता और हंसाता हूँ|
नाम : संगीता
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
कविता : आम फलों का राजा
आम फलों का राजा
आम फलों का राजा है ,
मीठा मीठा ताजा है |
यह सबको खूब भाता है ,
गर्मी में ही यह आता है |
नाम : संगीता
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्क्कोल , धामीखेड़ा
Monday, August 1, 2011
कविता : बच्चों की मेहनत
बच्चों की मेहनत
हम बच्चों ने मेहनत करके ,
पौधे हैं लायें हैं खूब |
सब मिलकर अब पानी डालो,
नहीं तो जायेंगे ये सूख |
नाम : मैना
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , पनकी पड़ाव
कविता :चुहिया रानी
कविता :चुहिया रानी
चुहिया रानी चुहिया रानी ,
क्यों हो तुम इतनी सयानी |
बिल्ली से तो तुम डरती हो ,
शेर के ऊपर तो तुम चढ़ती हो |
सब के घर में तुम रहती हो ,
बिल में तुम छुपती हो |
चुहिया रानी चुहिया रानी ,
क्यों तुम हो इतनी सयानी |
नाम : सूरज कुमार
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Saturday, July 30, 2011
चूहा
चूहा
चूहा आया भाई चूहा आया ,
मेरे घर में अक चूहा आया |
काट के बोरा चावल खाया ,
जाकर बिल में मौज मनाया |
नाम : रामदेव
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल , एवन
कविता : खट्टी इमली
खट्टी इमली
खट्टी इमली मीठीं ईख ,
चरती बकरी वन के बीच |
चलो पपीता खाएं हम ,
तबला खूब बजाएं हम |
नाम : राजा
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , एवन
Thursday, July 28, 2011
कविता : हाथी दादा
हाथी दादा
हाथी दादा पकड़ कर माथा ,
पहुँच गया वह बाजार |
जुटे की दुकान देखकर ,
मांगे वह जुटे चार |
कालू जूते वाला बोला,
बड़ा है तुम्हारा नाप |
इतना बड़ा न बनता जूता ,
हाथी दादा कर दो माफ |
नाम : राजा
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , एवन भट्ठा
Wednesday, July 27, 2011
कविता : नारियल
कविता : नारियल
कौन नारियल के पेड़ों पर,
जादू सा कर जाता है |
बंद कटोरी में मीठा जल ,
चुपके से भर जाता है |
कौन नारियल के पेड़ों पर,
जादू सा कर जाता है |
बंद कटोरी में मीठा जल ,
चुपके से भर जाता है |
नाम : सलेहा
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , पनकी पड़ाव
कविता : प्यारी तितली
कविता : प्यारी तितली
रंग - बिरंगी प्यारी तितली ,
पंख हिलती उड़ती तितली |
हाथ किसी के न आती तितली ,
फुर्र से उड़ जाती तितली |
नाम : काजिमुद्दीन
कक्षा : 2nd
सेंटर :अपना स्कूल , पनकी पड़ाव
Tuesday, July 26, 2011
कविता : आम
आम
सुंदर और सजीला आम,
कितना रंग रंगीला आम |
सबके मन को भाता आम,
कुछ खट्टे कुछ मीठे आम |
कुछ कच्चे कुछ पक्के आम,
सबका जी ललचाता आम |
कुछ महंगे कुछ सस्ते आम,
अब सब खरीदते हैं आम |
नाम : आबिद अली
कक्षा : 1
सेंटर : अपना स्कूल , पनकी पड़ाव
Sunday, July 24, 2011
कहानी : परी और लड़की
परी और लड़की
बहुत समय पहले की बात है | एक गाँव के पास एक नदी थी , उस नदी के किनारे एक पेड़ था | उस पेड़ पर एक परी रहती थी और गाँव में एक लड़की रहती थी | उस लड़की के माता पिता का बचपन में ही देहांत हो गया था | वह लड़की अकेले एक घर में रहती थी | वह बहुत छोटी थी इसलिए वह भीख मांगकर अपना गुजर बसर करती थी | एक बार गाँव वालों ने उसे कुछ खाने को न दिया | वह दो दिन से भूखी थी | वह खाने की खोज में बहुत जगह गयी पर उसे कहीं पर भी कुछ खाने को न मिला | थककर वह नदी के किनारे वाले पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगी | उस परी ने रोने की आवाज सुनकर उस लड़की के पास आई , और उससे पूछ कि तुम क्यों रो रही हो | फिर उस लड़की ने अपनी पूरी कहानी उसे बताई | वह लड़की भूखी थी इसलिए परी ने सबसे पहले अपनी छड़ी घुमाई और खाने के लिए खूब सारे अच्छे अच्छे पकवान आ गए | उस लड़की ने भरपेट भोजन किया | अब परी और उस लड़की कि दोस्ती हो गयी और वे दोनों लोग एक साथ रहने लगे | उनका जीवन अब अच्छे से गुजरने लगा |
नाम : संगीता
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Saturday, July 23, 2011
कविता : चिड़िया आई
चिड़िया आई
चिड़िया आई भाई चिड़िया आई......,
देखो चोंच में वह मटर का दाना लाई |
फुदक फुदक कर वह डाल पर जाती ,
फिर वह मीठा सा गाना है वह गाती |
चिड़िया तो है यह बड़ी सयानी ,
करती रहती अपनी मनमानी |
नाम : सनी
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल, तमसाहा
Friday, July 15, 2011
कविता : बिल्ली रानी
बिल्ली रानी
बिल्ली रानी है ये बिल्ली रानी,
हर दम करती है ये मनमानी |
दूध चुराकर है ये पी जाती ,
घी मलाई है ये चट कर जाती |
बिल्ली रानी बिल्ली रानी ,
बंद कर दे चूहों की शैतानी|
बिल्ली रानी है ये बिल्ली रानी,
हर दम करती है ये मनमानी |
दूध चुराकर है ये पी जाती ,
घी मलाई है ये चट कर जाती |
बिल्ली रानी बिल्ली रानी ,
बंद कर दे चूहों की शैतानी|
नाम : उमाशंकर
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल ,तमसाह
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल ,तमसाह
Thursday, July 14, 2011
कविता : मैं हूँ फूल
मैं हूँ फूल
फूल हैं हम फूल हैं .......,
सुंदर सुंदर फूल हैं.........|
सभी को खुशबू हैं हम देते...,
आपस में मिलजुल कर रहते|
फूल के प्रकार हैं अनेक .,
बगिया में खिलते हैं एक |
ये सुंदर फूल रंग रंगीले,
लाल , नीले और पीले .|
फूल हैं हम फूल हैं ,
रंग रंगीले फूल हैं|
फूल हैं हम फूल हैं .......,
सुंदर सुंदर फूल हैं.........|
सभी को खुशबू हैं हम देते...,
आपस में मिलजुल कर रहते|
फूल के प्रकार हैं अनेक .,
बगिया में खिलते हैं एक |
ये सुंदर फूल रंग रंगीले,
लाल , नीले और पीले .|
फूल हैं हम फूल हैं ,
रंग रंगीले फूल हैं|
नाम : अंकित कुमार
कक्षा : 4th
सेंटर :अपना स्कूल , धामीखेडा
कक्षा : 4th
सेंटर :अपना स्कूल , धामीखेडा
Wednesday, July 13, 2011
Tuesday, July 12, 2011
कहानी : बंदर और भालू
बंदर और भालू
एक समय की बात है | एक जंगल में आम के पेड़ पर एक बंदर रहता था |
वह एक अच्छे स्वाभाव का बंदर था | लेकिन उसका कोई दोस्त नहीं था |
वह एक दोस्त बनाना चाहता था | एक दिन एक भालू खाने की खोज में
इधर उधर घूम रहा था | अचानक उसे आम के पेड़ पर एक बंदर दिखा |
उसने बंदर से कहा क्या तुम मुझे आम तोड़ कर दे सकते हो | बंदर ने उसे
खूब सारे आम तोड़ कर दिये | भालू ने भर पेट आम खये | फिर बन्दर ने
भालू से कहा क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे | भालू ने हाँ कर दी | अब दोनों
दोस्त बन गए थे | ये दोनों खूब मजे में रहने लगे और जंगल में रहने वाले सभी
जानवरों की मदद करते | इनकी ख्याति दूर दूर फ़ैल गयी | इन लोगो की चर्चा
जंगल के राजा शेर ने सुनी तो शेर ने इन लोगो को पुरष्कार दिया |
एक समय की बात है | एक जंगल में आम के पेड़ पर एक बंदर रहता था |
वह एक अच्छे स्वाभाव का बंदर था | लेकिन उसका कोई दोस्त नहीं था |
वह एक दोस्त बनाना चाहता था | एक दिन एक भालू खाने की खोज में
इधर उधर घूम रहा था | अचानक उसे आम के पेड़ पर एक बंदर दिखा |
उसने बंदर से कहा क्या तुम मुझे आम तोड़ कर दे सकते हो | बंदर ने उसे
खूब सारे आम तोड़ कर दिये | भालू ने भर पेट आम खये | फिर बन्दर ने
भालू से कहा क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे | भालू ने हाँ कर दी | अब दोनों
दोस्त बन गए थे | ये दोनों खूब मजे में रहने लगे और जंगल में रहने वाले सभी
जानवरों की मदद करते | इनकी ख्याति दूर दूर फ़ैल गयी | इन लोगो की चर्चा
जंगल के राजा शेर ने सुनी तो शेर ने इन लोगो को पुरष्कार दिया |
नाम : हेमा
कक्षा : 2nd
सेंटर :अपना स्कूल, कालरा भट्ठा
कक्षा : 2nd
सेंटर :अपना स्कूल, कालरा भट्ठा
कविता : हाथी जी
हाथी जी
हाथी है ये काला काला .,
लम्बी लम्बी सूंडों वाला ..........|
धमक धमक कर ये चलने वाला,
दर्जन भर केले ये खाने वाला |
भर भर सूंड ये नहाने वाला .,
सब बच्चों को ये भाने वाला |
हाथी है ये काला काला ........,
लम्बी लम्बी सूंडों वाला .......|
हाथी है ये काला काला .,
लम्बी लम्बी सूंडों वाला ..........|
धमक धमक कर ये चलने वाला,
दर्जन भर केले ये खाने वाला |
भर भर सूंड ये नहाने वाला .,
सब बच्चों को ये भाने वाला |
हाथी है ये काला काला ........,
लम्बी लम्बी सूंडों वाला .......|
नाम : दीपक कुमार
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल
कक्षा : 5th
सेंटर : अपना स्कूल
कविता : ताजा खबर
ताजा खबर
बाबू जी जरा तुम सुनो इधर ,
है आज की यह ताजा खबर |
शहर में फट गया है बम ,
गिरे लोग धम धम धम ...|
इधर गिरा कोई गिरा उधर..,
यही है आज की ताजा खबर |
बाबू जी जरा तुम सुनो इधर ,
है आज की यह ताजा खबर |
शहर में फट गया है बम ,
गिरे लोग धम धम धम ...|
इधर गिरा कोई गिरा उधर..,
यही है आज की ताजा खबर |
नाम : अंजलि
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेडा
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेडा
Monday, July 11, 2011
कविता : फल और सब्जियां
फल और सब्जियां
हरा , मुलायम सबसे सस्ता ,
है ये हरे पालक का पत्ता .....|
हैं ये गाजर नारंगी और पीली,
मीठी मीठी और रंग रंगीली ..|
दातों को ये मजबूत है बनाती ,
आँखों की ये है ज्योति बढ़ाती |
शहरों में भरा है पानी बदबूदार,
करता है ये हम सबको बीमार .|
हम जीवन का एक लक्ष्य बनाये,
पेड़ पौधे हम सब सदा लगायें....|
हरा , मुलायम सबसे सस्ता ,
है ये हरे पालक का पत्ता .....|
हैं ये गाजर नारंगी और पीली,
मीठी मीठी और रंग रंगीली ..|
दातों को ये मजबूत है बनाती ,
आँखों की ये है ज्योति बढ़ाती |
शहरों में भरा है पानी बदबूदार,
करता है ये हम सबको बीमार .|
हम जीवन का एक लक्ष्य बनाये,
पेड़ पौधे हम सब सदा लगायें....|
नाम : पिंटू कुमार
कक्षा : 1st
सेंटर : अपना स्कूल , सरन भट्ठा
कक्षा : 1st
सेंटर : अपना स्कूल , सरन भट्ठा
Sunday, July 10, 2011
बादल काले
कविता : बादल काले
काले काले बादल आये,
नन्ही नन्ही बूंदे लाये ...|
बूंदे टप टप हैं ये टपकती.,
कितनी अच्छी हैं ये लगती|
बारिश देखकर नाचे मोर ,
खुश हो बच्चे करते शोर |
काले काले बादल आये,
नन्ही नन्ही बूंदे लाये ...|
बूंदे टप टप हैं ये टपकती.,
कितनी अच्छी हैं ये लगती|
बारिश देखकर नाचे मोर ,
खुश हो बच्चे करते शोर |
नाम : नाहिद
कक्षा :5th
अपना स्कूल, धामीखेडा
कक्षा :5th
अपना स्कूल, धामीखेडा
Saturday, July 9, 2011
तोता
कविता - तोता
तोता तोता मेरा हरा हरा ,
आम खाता रस भरा |
आसमान में उड़ता है ,
सबको जवाब देता है |
नाम : मैनुद्दीन कक्षा : 2nd सेंटर : अपना स्कूल , पनकी पड़ाव
Wednesday, July 6, 2011
कविता: तोते ने गाया गाना
तोते ने गाया गाना
बच्चों देखो तोता आया ......,
आम के पेड़ पर तोता आया|
जब आम कर उसने खाया ...,
यह देख रामू का जी ललचाया|
तब रामू ने केला खाया,
यह देख तोता ललचाया |
फिर तोते ने गाना गाया ,
बच्चों देखो तोता आया |
नाम : रामू
कक्षा : २
सेंटर : अपना स्कूल , एवन भट्ठा
Monday, July 4, 2011
कविता: दीपावली
दीपावली
दीपावली आई है ,
खुशियाँ खूब लाई हैं |
शुक्ला भैया आयें हैं.............,
साथ में अपने मिठाई लाये हैं|
सब बच्चों खाई खूब मिठाई .,
दीपावली धूम धाम से मनाई |
नाम: उमा देवी
कक्षा: 5
कविता : रोज सवेरे आता सूरज
सूरज और चंदा
रोज सवेरे है आता सूरज.......,
सारा जगत है चमकाता सूरज|
रोज सुबह जल्दी उठकर,
फूलों को महकाता सूरज |
रात को चंदा और सितारे,
चमकते हैं ये कितने सारे......|
चम चम कर ये चमक दिखाते,
अंधकार में ये सबको पथ दिखाते|
नाम: सोनम
कक्षा: १
सेंटर: अपना स्कूल, सरन भट्ठा
Thursday, June 30, 2011
कविता : हम हैं फूल
हम हैं फूल
हम हैं फूल निराले...,
लाल, पीले रंगों वाले |
फूलों के हैं रंग अनेक .....,
माला में सब दिखते एक |
फूल मंदिर में हैं चढ़ते .............,
फूलों को लोग पैरों तले कुचलते|
लोग फूलों का करते हैं अपमान ....,
लेकिन फूल करता सबका सम्मान |
नाम : सोनम
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल, सरन भट्ठा
Wednesday, June 29, 2011
कहानी : चींटी और बंदर
चींटी और बंदर
बहुत समय पहले की बात है. एक बंदर था. वह सभी जानवरों की समय आने पर मदद करता था. सभी जानवरों से वह अच्छा व्यवहार करता था. यह बात बहुत दूर दूर फ़ैल चुकी थी. एक दिन यह बात एक चीटी के कानों में पड़ी. वह उसकी परीक्षा लेने के लिए बंदर के घर को चल दी. रास्ते में अचानक मौसम ख़राब हो गया, और तेज की बारिश होने लगी . वह चीटीं एक पेड़ के छेद में घुस गयी. उसी पेड़ के ऊपर वह बंदर बैठा भीग रहा था. चीटीं को भी बुखार आ गया था. बारिश खत्म होने के पश्चात बंदर चीटीं के पास गया और बोला की बहन तुम्हे कहाँ जाना है.चीटीं बोली मुझे अपने नानी के यहाँ जाना है. बंदर उसे नानी के यहाँ छोड़ने चला गया.चीटीं ने अपने पर उसका खूब आदर सत्कार किया. और चीटी ने उसे बड़े प्यार से विदा किया. इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें एक दूसरे की मदद करनी चाहिए.
नाम : अंजली
कक्षा : २
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Tuesday, June 28, 2011
कविता : गुड़िया रानी
गुड़िया रानी
मैं हूँ गुड़िया रानी ....,
दिखती हूँ मैं जापानी/
इसलिए तो लोग मुझे...,
कहते हैं परियों कि रानी/
दूध नहीं हूँ मैं पीती .....,
बिना पानी के मैं जीती /
नाम : अंजली
कक्षा : २
सेन्टर: अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Sunday, June 26, 2011
कविता : बंदर मामा
बंदर मामा
बंदर मामा चले विदेश.........,
पहन के अपने देश का वेश .|
तन पर कुरता पहन पजामा ...............,
इसी लिए कहते हम उनको बंदर मामा .|
चल रहे वो सीना तान ..,
यही उनके देश की शान .|
नाम : ज्योति
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा
Saturday, June 25, 2011
कविता : होली आई
होली आई
होली आई होली आई ,
होली रंग - बिरंगे रंगों को लायी |
रंगों की फुलवारी लायी ,
सब बच्चों के मन को भाई |
होली है भई होली है ,
गुझिया , पापड़ की हो गयी खाली थाली |
नाम : दीपक कुमार
कक्षा : 1st
सेंटर : अपना स्कूल , मुरारी
ब्रिक फील्ड , कानपुर
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