अकेले चलो तुम ......
न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम
सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी
सदा जो बिना जगाये ही जगा है
अँधेरा उसे देखकर ही भगा है
वंही बीज पनपा पनपना जिसे था
धुना क्या किसके उगाये उगा है
अगर उअग सको तो उगो सूर्य से तुम
प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी
सही राह को छोड़कर जो मुड़े है
वही देखकर दूसरों को कुढ़े है
बिना पंख तोले जो गगन में उड़े है
न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े है
अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम
प्रखरता तुम्हारे कदम चूम लेगी
न जो बर्फ की आँधियों से लड़े है
कभी पगा न उनके शिखर पर पड़े है
जिन्हें लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से है
वही जी चुराकर तरसते खड़े है
अगर जी सको तो जियो झूम कर
अमरता तुम्हारे कदम चूम लेगी ...
न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम
सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी
सदा जो बिना जगाये ही जगा है
अँधेरा उसे देखकर ही भगा है
वंही बीज पनपा पनपना जिसे था
धुना क्या किसके उगाये उगा है
अगर उअग सको तो उगो सूर्य से तुम
प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी
सही राह को छोड़कर जो मुड़े है
वही देखकर दूसरों को कुढ़े है
बिना पंख तोले जो गगन में उड़े है
न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े है
अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम
प्रखरता तुम्हारे कदम चूम लेगी
न जो बर्फ की आँधियों से लड़े है
कभी पगा न उनके शिखर पर पड़े है
जिन्हें लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से है
वही जी चुराकर तरसते खड़े है
अगर जी सको तो जियो झूम कर
अमरता तुम्हारे कदम चूम लेगी ...
सनी कक्षा ५,
अपना स्कूल, तम्साहा, कानपुर
यह रचना दतिया जिला मध्य प्रदेश के सुप्रिद्ध संगीतकार स्व. श्री महेश मिश्र "मधुकर" द्वारा रचित है इसका शुद्ध स्वरूप निम्न प्रकार है।
ReplyDeleteअगर चल सको तो स्वयं ही चलो तुम
सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी
बिना जो जगाये स्वयं ही जगा है
अँधेरा उसे देखकर ही भगा है
वंही बीज पनपा पनपना जिसे था
धुना क्या किसके उगाये उगा है
अगर उअग सको तो उगो सूर्य से तुम
प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी
सही राह को छोड़कर जो मुड़े है
वही देखकर दूसरों को कुढ़े है
बिना पंख तोले जो गगन में उड़े है
न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े है
अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम
प्रखरता तुम्हारे कदम चूम लेगी
न जो बर्फ की आँधियों से लड़े है
कभी पगा न उनके शिखर पर पड़े है
जिन्हें लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से है
वही जी चुराकर तरसते खड़े है
अगर जी सको तो जियो झूम कर
अमरता तुम्हारे कदम चूम लेगी ...
( श्री महेश मिश्र “मधुकर)
Nice song always inspire me.
ReplyDeletebahut shandar hain
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteSalute
DeleteBachpan ki yaad dilata hai...
ReplyDeleteBachpan ki yaad dilata hai...
ReplyDeleteअति प्रेरणादायक कविता ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत।एक बार पढ़ने के बाद बार बार पढ़ने का मन करता है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर दिल प्रफुल्लित हो उठा
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