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Thursday, July 28, 2011
कविता : हाथी दादा
हाथी दादा
हाथी दादा पकड़ कर माथा ,
पहुँच गया वह बाजार |
जुटे की दुकान देखकर ,
मांगे वह जुटे चार |
कालू जूते वाला बोला,
बड़ा है तुम्हारा नाप |
इतना बड़ा न बनता जूता ,
हाथी दादा कर दो माफ |
नाम : राजा
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , एवन भट्ठा
1 comment:
Chaitanyaa Sharma
July 29, 2011 at 7:08 AM
प्यारी सी कविता ...
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प्यारी सी कविता ...
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