कहाँ गया वो बचपन ।
चोटी सी इस दुनियाँ में ।
हमारा बचपन एक ।
याद बनकर रह गया ।
सोचता हूँ काश फिर से बचपन लौट आए ।
मेरे वो प्यारा बचपन ।
बचपन एक ऐसा पल है ।
न होती इसकी कोई सुबह ।
और न आता है कल ।
याद आते अब वो पल ।
सोचता हू की काश ।
वहीं - कहीं ठहर जाता पल ।
वो बारिश का पानी वो सावन के झूले ।
वो पल भुलाएँ ना भूले ।
पीपल के वो छाँव ,
कागज की वो नांव ।
याद आता है वो अपना गाँव ।
पता नहीं कहाँ खो गया वो मेरा बचपन ।
अब बचपन एक याद बनकर रह जाएगा ।
मुकेश कुमार
अपना स्कूल, कानपुर
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