Wednesday, June 22, 2011

कविता : मछली

 मछली 
मछली है भई मछली है ,
मछली के पूंछ भी असली है | 
बाहर कभी नहीं आती है , 
आती है तो अपना जीवन खो देती है | 
जीवन इसका पानी है , 
मछली की यही कहानी है |
मछली है भई मछली है ,
अपनी पूंछ और पंख से चली है |



नाम : सूरज कुमार 
कक्षा : 4th  
सेंटर : अपना स्कूल , कानपुर 
           धामी खेड़ा

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