Thursday, June 30, 2011

कविता : हम हैं फूल

हम हैं फूल 
हम हैं फूल निराले...,
लाल, पीले रंगों वाले | 
फूलों के हैं रंग अनेक .....,
माला में सब  दिखते एक |
फूल मंदिर में हैं चढ़ते .............,
फूलों को लोग पैरों तले कुचलते|
लोग फूलों का करते हैं अपमान ....,
लेकिन फूल करता सबका सम्मान |
नाम : सोनम 
कक्षा : 4th 
सेंटर : अपना स्कूल, सरन भट्ठा
 
  

Wednesday, June 29, 2011

कहानी : चींटी और बंदर

चींटी और बंदर
 बहुत समय पहले की बात है. एक बंदर था. वह सभी जानवरों की समय आने पर मदद करता था. सभी जानवरों से वह अच्छा व्यवहार करता था.  यह बात बहुत दूर दूर फ़ैल चुकी थी. एक दिन यह बात एक चीटी के कानों में पड़ी. वह उसकी परीक्षा लेने के लिए बंदर के घर को चल दी. रास्ते में अचानक मौसम ख़राब हो गया, और तेज की बारिश होने लगी . वह चीटीं एक पेड़ के छेद में घुस गयी. उसी पेड़ के ऊपर वह बंदर बैठा भीग रहा था. चीटीं को भी बुखार आ गया था. बारिश खत्म होने के पश्चात बंदर चीटीं के पास गया और बोला की बहन  तुम्हे कहाँ जाना है.चीटीं बोली मुझे अपने नानी के यहाँ जाना है. बंदर उसे नानी के यहाँ छोड़ने चला गया.चीटीं ने अपने पर उसका खूब आदर सत्कार किया. और चीटी ने उसे बड़े प्यार से विदा किया. इस  कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें एक दूसरे की मदद करनी चाहिए.
नाम : अंजली 
कक्षा : २
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा 

Tuesday, June 28, 2011

कविता : गुड़िया रानी

गुड़िया रानी 
मैं हूँ गुड़िया रानी ....,
दिखती हूँ मैं जापानी/
इसलिए तो लोग मुझे...,
कहते हैं परियों कि रानी/
दूध नहीं हूँ मैं पीती .....,
बिना पानी के मैं जीती /
नाम : अंजली
कक्षा : २
  सेन्टर: अपना स्कूल , धामीखेड़ा
 

Sunday, June 26, 2011

कविता : बंदर मामा

बंदर मामा 
बंदर मामा चले विदेश.........,
पहन के अपने देश का वेश .|
तन पर कुरता पहन पजामा ...............,
इसी लिए कहते हम उनको बंदर मामा .|
चल रहे वो सीना तान ..,
यही उनके देश की शान .|



नाम : ज्योति 
कक्षा : 4th
सेंटर : अपना स्कूल , धामीखेड़ा

पेंटिंग

नाम : रुक्का 
कक्षा : 1st 
सेंटर :  अपना स्कूल जय सवाल

Saturday, June 25, 2011

कविता : होली आई

 होली आई 
होली आई होली आई ,
होली रंग - बिरंगे रंगों को लायी |
रंगों की फुलवारी लायी ,
सब बच्चों के मन को भाई | 
होली है भई होली है ,
गुझिया , पापड़ की हो गयी खाली थाली  | 


नाम : दीपक कुमार     
कक्षा : 1st  
सेंटर : अपना स्कूल , मुरारी 
                                   ब्रिक फील्ड ,  कानपुर                                                                                                  

कविता : सेब

 सेब 
सेब है भई सेब है ...............,
नहीं किसी से इसका मेल है | 
फलों का राजा सेब है ............,
सभी फलों पर जमाता रोब है | 
मम्मी को प्यारा सेब ........, 
पापा के मन को भाता सेब | 
दादा के लिए आता सेब .,
दादी को ललचवाता सेब | 
सेब है भई सेब है ....................................,
सेब के आगे नहीं चलता किसी का रोब है..| 


नाम :  रोशनी  देवी 
कक्षा : 2nd  
सेंटर : अपना स्कूल , कानपुर

Friday, June 24, 2011

कहानी : पांच मित्र

पांच मित्र 
एक गाँव में पांच मित्र रहते थे | एक दिन एक मित्र बोला कि यार बहुत दिन हो गए हैं , कहीं पर घूमने  नहीं गए हैं , चलो कहीं पर चलते हैं | पांचो मित्र अपने - अपने घर से तैयार होकर आ गए और एक जंगल कि ओर निकल पड़े | वह जिस जंगल में गए वह बहुत घना जंगल था | उस जंगल में एक खतरनाक शेर रहता था | उसकी दहाड़ से सारा जंगल गूंज जाता था और सभी पशु - पक्षी जंगल से बाहर भाग जाते थे | थोड़ी देर बाद वह पांचो मित्र उसी जगह पहुँच गए जिस जगह पर शेर कि गुफा थी , उन्होंने शेर की आवाज सुनी बेचारे डर के मारे पांचो मित्र वहां से वापस  आ गए और तब से वह कहीं बाहर घूमने नहीं गए हैं | 


नाम : सूरज कुमार
कक्षा : 4th 
सेंटर : अपना स्कूल धामीखेड़ा

Wednesday, June 22, 2011

कविता : मछली

 मछली 
मछली है भई मछली है ,
मछली के पूंछ भी असली है | 
बाहर कभी नहीं आती है , 
आती है तो अपना जीवन खो देती है | 
जीवन इसका पानी है , 
मछली की यही कहानी है |
मछली है भई मछली है ,
अपनी पूंछ और पंख से चली है |



नाम : सूरज कुमार 
कक्षा : 4th  
सेंटर : अपना स्कूल , कानपुर 
           धामी खेड़ा

कहानी : मारवती

 मारवती 
एक बहुत पुराने गाँव के किनारे पर एक महल था , जिस महल में राजा और रानी ख़ुशी से अपना जीवन व्यतीत करते थे | लेकिन रानी साहिबा संतान न होने के कारण से चिंतित रहती थीं | कुछ दिनों के बाद राजा के पास खबर आयी कि रानी ने एक पुत्री को जन्म दिया है | राजा ऐसी खबर सुनते ही नाचने- कूदने लगा | थोड़ी देर बाद  राजा के पास रानी के मरने की खबर आयी | राजा खबर सुनकर भौचक्का रह गया | तब से रानी की पुत्री का नाम मारवती पड़ गया | रानी के मरने के बाद राजा चिंतित रहने लगे | प्रजा को अपने राजा की उदासी देखी नहीं जा रही थी , इस कारण प्रजा ने उनसे दूसरा विवाह कर लेने की सलाह दी  , राजा बहुत ही मुश्किल में तैयार हुए और शादी कर ली | नयी वाली रानी मारवती को हमेशा मारा करती थीं | राजा की  प्रजा ने देखा और राजा से बात की तो राजा ने उनसे कहा की अब तो भुगतना ही पड़ेगा | कई साल बीत गए और मारवती अब शादी के लायक हो गयी | राजा ने उसका विवाह एक राजा के साथ कर दिया | अब सौतेली माँ ने उसको मारना छोड़ दिया और उसको राजा के साथ विदा कर दिया | अब से वह उसे ही अपनी बेटी मानने लगी | 


नाम : ज्योति 
 कक्षा : 4th  
सेंटर : अपना स्कूल 
          धामीखेड़ा कानपुर

Thursday, June 16, 2011

Monday, June 13, 2011

शीर्षक : मेरी कला

मेरी कला 
नाम : खुशबू कुमारी 
कक्षा :  1st  
सेंटर : कालरा ब्रिक फील्ड

Saturday, June 11, 2011

शीर्षक : हमने बनाया

 हमने बनाया 

नाम : चन्दन कुमार 
कक्षा : 1st  
सेंटर : अपना स्कूल 
          कालरा ब्रिक फील्ड

शीर्षक : मेरी प्रतिभा

 मेरी प्रतिभा 


नाम : रानी कुमारी 
कक्षा : 1st  
सेंटर : अपना स्कूल 
          कालरा ब्रिक फील्ड


Friday, June 10, 2011

शीर्षक : तितली उडी

 तितली उडी
तितली उडी रंग - बिरंगी .....................,
ऊपर जब जाती तो लगती गोल फिरंगी |
नीचे पास में आती तो लगती प्यारी ..,
मन करता की कर लूँ इसकी सवारी   | 


नाम : लल्ले कुमार 
कक्षा : 1st 
अपना स्कूल दीप भट्ठा

Thursday, June 9, 2011

शीर्षक : लालची बिल्ली

 लालची बिल्ली 
एक बिल्ली बड़ी सयानी ,
रोज पिए चूहों के संग पानी | 
फिर भी पेट न भरता उसका ,
दिन भर करती वह अपनी मनमानी |
उछल कूद कर बिल्ली रोई ,
रोते- रोते ही वह सोई | 
सौ - सौ को उसने मारा  , 
बिल्ली अकेले भूंखी सोई 



नाम : सरिता देवी 
कक्षा : 8th  
अपना स्कूल , पनकी

शीर्षक : बिल्ली मौसी

 बिल्ली मौसी
बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी ,
कहाँ गयी थी सुबह सुबह बाहर | 
बिल्ली ने मुंह में दबा के रखा था चूहा ,
मुंह खुलते ही वह निकला झट से बाहर | 




नाम : रानी देवी 
कक्षा : 2th  
अपना स्कूल , पनकी सेंटर 
कानपुर

Wednesday, June 8, 2011

शीर्षक : कौआ आया

 कौआ आया 
कांव - कांव  करता  कौआ आया ,
बड़े सवेरे कौआ आया | 
जल्दी उठो  हो गयी सुबह , 
देखो बाग में मच गयी पक्षियों की कलह |
चिड़ियाँ बोली चूँ-चूँ -चूँ  ,
कोयल बोली कूँ-कूँ-कूँ |
मैं भी बोली क्या है ? 
उठो-उठो भई शोर मचा है |
कांव - कांव  करता  कौआ आया ,
बड़े सवेरे कौआ आया | 



नाम : सरिता देवी 
कक्षा : 8th  
अपना स्कूल , पनकी पड़ाव ,
 कानपुर

शीर्षक : वीर जवान

 वीर जवान 
मत समझो हमको छोटा ,
हम हैं वीर जवान  |
हमको प्यारा देश हमारा ,
हमारा भारत देश महान | 



नाम : मैनुद्दीन 
कक्षा : 2th  
अपना स्कूल , पनकी पड़ाव 

Sunday, June 5, 2011

शीर्षक : पर्यावरण

पर्यावरण 
आज पर्यावरण दिवस है , और आप सभी लोग सोच रहे होंगे कि ग्लोबल वार्मिंग बढती जा रही है , इसे कम कैसे किया जा सकता है ? अब क्या कम होगा ? जो कम होना  था , वो वह हो चुका | यदि आज सभी धरती को बचाने के लिए इतने उत्सुक हैं तो यह बताएं आप लोगों कि उत्सुकता पहले  कहाँ चली गयी 
थी ? आप लोग 5 जून को ही क्यों मनाते हैं ? मैं तो चाहता हूँ कि प्रत्येक दिन ही हम सभी मिलकर पर्यावरण दिवस मनाएं , यदि ऐसा पहले से ही करते और हर एक परिवार के लोग मिलकर प्रत्येक परिवार कम से कम 5-5 पौधे लगाते रहते तो शायद आज यह नौबत नहीं आती |
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                               


 नाम : आशीष सिंह







 

शीषक : गोल - गोल

 गोल - गोल 
गोल गोल नारंगी होता गोल ,
खट्टा -मीठा नारंगी गोल |
पापा लेकर आना जी बाल, 
मैं भी खेलूँगा फुटबाल | |

नाम : संतोष कुमार 
कक्षा : १ 
मेरा ब्रिक फील्ड

शीर्षक : ''अपने घर में खायेंगे ''

 ''अपने घर में खायेंगे ''
मामा के घर में जायेंगे ,
हलुवा-पूड़ी खायेंगे |
मामा यदि डांटेंगे , 
हम घर वापस आएंगे |
हाथों से हम बनायेंगे , 
फिर अपने घर में खायेंगे |



      नाम : संजय कुमार 
      कक्षा : १ 
     सेन्टर : मेरा ब्रिक फिल्ड 

Friday, June 3, 2011

शीर्षक : झूला

 झूला 
झूला झूल रही है , 
डाली झूला झुला रही है |
इस झूले में बड़ी मजा है , 
यह हमको आज पता चला है | 
नाम : रजनी 
कक्षा : 1  
सेंटर : मेरा ब्रिक फील्ड 
          चौबेपुर कानपुर

शीर्षक : हाथी राजा

 हाथी राजा 
हाथी राजा भले-भले  , 
सूंड हिलाते कहाँ चले ?  
हाथी राजा आये हैं मेरे पास ,
क्योंकि दिन है आज खास  | 
हमने बोला आओ बैठो मेरी कुर्सी में ,
कुर्सी बोली चर चर उनके बैठन में  |


नाम : रागनी देवी 
कक्षा : 1  
सेंटर : मेरा ब्रिक फील्ड 
           चौबेपुर , कानपुर