ना खोने के दर थी |
ना पाने की चाहत थी |
इस अनजान सी दुनिया में,
पर इस दुनिया ने,
डर-डर कर जीना मजबूर कर दिया,
न घर में सुख चैन है,
न बाहर में जीने का लहर है,
चारो तरफ कोरोना का ही कहर है,
लोगों के सलाह से जीना था इस कहर में,
पर हद से ज्यादा गलती कर बैठे,
हमने इसे इतना बढ़ावा दिया,
वो आज हमारे ऊपर चढ़ बैठे,
नाम: हेमा
कक्षा:12
अपना स्कूल, कानपुर
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