हम कब तक मौन रहेंगे ।
कब तक स्त्री का जुल्म यूँ देखते रहेंगे ।
आज किसी का घर उजड़ा हुआ है ।
लेकिन कल हमारी बारी भी आ सकती है ।
यह केवल हमारे समाज की बेटी हीं नहीं ,
हमारे पूरे देश की बेटी है ।
ये जुल्म , हत्या , रेप कब तक होते रहेंगें।
कब तक हम इन जुल्मों को हम सहते रहेंगें।
हमें इसका समाधान ढूँढना ही होगा ।
नहीं तो गंदें काम का कारवाँ बढ़ता ही जाएगा ।
मुकेश कुमार
अपना स्कूल , कानपुर
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