Sunday, June 24, 2012
शीर्षक - मेढक
मेढक
मेढक बोल रहा है टर्र - टर्र ,बारिश होगी जाने कब ?
गर्मी की है वाह -वाही ,
बच्चा-बच्चा बोल रहा गर्मी जाएगी कब ?
धरती है न जाने कितनी प्यासी ?
किसान के चेहरे पर छाई है मायूसी ।
इस गर्मी ने तो सबको किया निराश ,
जिससे टूटी सबकी आश ।
छाये हैं बादल काले - काले ,
न बरश दिए दुःख के प्याले ।
जब यह गरज -गरजकर बरसेंगे ,
तब ये मन भावन -सावन लायेंगे ।
धरती होगी हरी - भरी ,
लगेगी बागों की सुंदरी ।
नाम - ज्योति
कक्षा -5th
सेंटर - अपना स्कूल धामीखेड़ा
सेंटर , कानपुर
Saturday, June 23, 2012
शीर्षक - पंख पसारे
पंख पसारे
फुदुक रही है फूल फूल पर ,कोमल पंख पसारे ।
रंग - बिरंगे पंख पसारे ,
प्यारे -प्यारे रंग - ढंग को इसके देखो ।
हाथ कभी न इसे लगाना ,
पकड़ोगे तो उड़ जाएगी ।
क्योंकि फिर न होगा,
इसका आना ...................।
नाम - ज्योति
कक्षा - 5th
सेंटर - अपना स्कूल , धामीखेड़ा
कानपुर
Sunday, June 17, 2012
कविता - चूहे
चूहे
तीन चूहे भाग रहे थे ,
बिल्ली ने उन्हें देख लिया ।
बिल्ली बोली म्याऊँ (मैं आऊँ ) ,
चूहे बोले बिल्ली मौसी ना ,ना ,ना ।
हमारे पास कभी ना आना ।
तू जो पास हमारे आएगी ,
मार के हमको खाएगी ।नाम - सरिता
कक्षा - 8th
सेंटर - अपना स्कूल , पनकी
सेंटर , कानपुर
Saturday, April 21, 2012
शीर्षक : मौसम ने बदला मिजाज
मौसम ने बदला मिजाज
मौसम ने बदला मिजाज ,
बादलों ने आसमां को दिया साज ।
हवा चल रही है अपनी धुन में ,
पेड़ों की डाली हिलाए अपने संग में ।
खेतों में गेंहू की बाली लहलहाती ,
जो किसान के मन को भाती ।
मन ही मन में सोंचता और कहता ,
अन्न से भर दे कोठी दाता ।
कहीं धुप है कहीं छाँव है ,
बागों के बीच गाँव है ।
हमको लगता सबसे प्यारा ,
जो है गाँव हमारा ।
इस मौसम में अगर पानी बरसा ,
बड़े जोर की ठण्ड पड़ेगी सहसा ।
ये है मौसम का मिजाज ,
कोई न जाने कब कर ले सब पर राज ।
नाम : आशीष कुमार
कक्षा : 9th
अपना घर
Wednesday, March 28, 2012
कविता : हमारा स्कूल
हमारा स्कूल
स्कूल हमारा बड़ा प्यारा ,
शिक्षा पाने का है द्वारा ।
दूओर दूर से बच्चे आते ,
शिक्षक सबको रोज पढ़ाते ।
हमारी दीदी बहुत अच्छा पढ़ाती,
रोज समय से स्कूल आ जाती ।
पढ़ना सबको लगता अच्छा ,
इसलिए स्कूल आता हर बच्चा ।
नाम : रानी
कक्षा : 3rd
सेंटर : अपना स्कूल , तातियागंज
Thursday, March 15, 2012
Wednesday, March 14, 2012
कविता : हम पेड़ लगायें
कविता : हम पेड़ लगायें
आओ हम पेड़ लगायें,
हरा भरा एक बाग बनायें ।
फूलों से हैं हर पेड़ सजे ,
और फल लगें ताजे ।
शाम हो या हो सवेरा ,
पक्षियों का हो बसेरा ।
नाम : शिवानी
कक्षा : 4
सेंटर : अपना स्कूल , तमसहा
Tuesday, March 13, 2012
Saturday, March 10, 2012
शीर्षक :- "आम "
"आम "
जब हवा चलेगी जोर - जोर ,
बच्चे भागेंगे सुनके शोर ।
ये है मौसम आमों का,
फाल्गुन माह के गानों का ।
लटक रहे हैं आम बगीचों में ,
उनको पाने के लिए सोच रहे घर में ।
जाएँ बगीचों में आम के नीचे ,
हवा चले जब हम सोंचे ।
हवा चले झर - झर - झर ,
आम गिरें भर - भर - भर ।
जल्दी - जल्दी से हम आमों को बिन लें ,
बाग वाले से बचकर हम घर को निकलें ।
नाम : - जुगेश कुमार
कक्षा : - 2nd
अपना स्कूल
Wednesday, March 7, 2012
शीर्षक : - मुझको रंगवाया
""''मुझको रंगवाया ''
होली होई काल ,
गुलाल उड़ी पीलो - लाल ।
रंग में जब पड़ेगा रंग ,
देख के चेहरा रहि जइबे दंग ।
चुनाव हुआ है अभी सीएम का ,
मिलेगी कुर्सी किसको यह था भ्रम हम सबका। ।
जो जीता कुर्सी उसी के अंडर ,
जो हारा वह घर के अन्दर ।
गा - गा के होलिया के फाग ,
जब रंग कोई डाले तो मत लेना भाग ।
क्योंकि बुरा न मानो होली है ,
गुझिया - पापड़ हलवाई ने तौली है ।
रंग ने जब अपना असर दिखाया ,
ज्यादा रंग पड़ने से सिर चकराया ।
जिस कम्बक्त ने यह त्यौहार मनाया ,
अच्छा - खासा मुझको रंगवाया ।
चित्र :- अपना स्कूल के बच्चों के द्वारा ।
होली होई काल ,
गुलाल उड़ी पीलो - लाल ।
रंग में जब पड़ेगा रंग ,
देख के चेहरा रहि जइबे दंग ।
चुनाव हुआ है अभी सीएम का ,
मिलेगी कुर्सी किसको यह था भ्रम हम सबका। ।
जो जीता कुर्सी उसी के अंडर ,
जो हारा वह घर के अन्दर ।
गा - गा के होलिया के फाग ,
जब रंग कोई डाले तो मत लेना भाग ।
क्योंकि बुरा न मानो होली है ,
गुझिया - पापड़ हलवाई ने तौली है ।
रंग ने जब अपना असर दिखाया ,
ज्यादा रंग पड़ने से सिर चकराया ।
जिस कम्बक्त ने यह त्यौहार मनाया ,
अच्छा - खासा मुझको रंगवाया ।
कवि: - आशीष कुमार
कक्षा :- 9th
अपना घर , एक कदम
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