कविता
मैं हूँ पेड़ मुझे मत काटो
टुकड़ो टुकड़ो में मुझे मत काटो
दर्द मुझे भी होता है मैं हूँ मित्र तम्हारा
सखा हूँ सबसे प्यारा
मेरे फल मैं नहीं खाता हूँ
सब तुम्हे ही तो दे जाता हूँ
जहरीली गैसे भी पी जाता हूँ
शुद्ध हवा तुम तक पहुंचता हूँ
सूरज का भी धूप सहूँ
मैं हूँ जीवन क आधार
फिर भी लोग मुझ पर करते हैं प्रहार
सुनो बात तुम कान लगा कर
वृक्षों क करना सम्मान
मैं हूँ जीवन क आधार
नाम - जूली
कक्षा - 8
अपना स्कूल कानपुर
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