हम है दुनिया के उजाले ,यहाँ हमें कोई नहीं पहचानता।
दुनिया करती है अपने ऐशो अराम की खोज।
लेकिन दुनिया हम बेटियों को, समझती अपने सिर का बोझ।
हमारा कोई साथ दे या न दे ,चलना हमें है आता।
बस हमें है जन्म देने वाली माँ की जरुरत ।
माँ मत करना भ्रूण हत्या ,होकर मजबूर।
माँ हम बेटियों को दुनियाँ देखनी है जरूर।
करने है हमे कुछ काम ऐसे, जिसमे हो कुछ साथी सच्चे।
अगर ऐसी माँ हो सबके पास ,तो कितने खुश हो सारे बच्चे।
हम बेटियों की हो, हमारी खुद की अपनी पहचान।
हमारे काम से ही जाने ,हमे ये धरती और आसमान ।
नाम - हेमा
कक्षा - 9
(अपना स्कूल तातियागंज)
Love it! Bahut khoob, Hema!
ReplyDeleteक्या सुंदर भावना व्यक्त की है हेमा ने. बधाई हो.
ReplyDelete-अशोक गुप्ता