Friday, December 30, 2011
Thursday, December 29, 2011
कविता : गीत ........
अकेले चलो तुम ......
न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम
सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी
सदा जो बिना जगाये ही जगा है
अँधेरा उसे देखकर ही भगा है
वंही बीज पनपा पनपना जिसे था
धुना क्या किसके उगाये उगा है
अगर उअग सको तो उगो सूर्य से तुम
प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी
सही राह को छोड़कर जो मुड़े है
वही देखकर दूसरों को कुढ़े है
बिना पंख तोले जो गगन में उड़े है
न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े है
अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम
प्रखरता तुम्हारे कदम चूम लेगी
न जो बर्फ की आँधियों से लड़े है
कभी पगा न उनके शिखर पर पड़े है
जिन्हें लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से है
वही जी चुराकर तरसते खड़े है
अगर जी सको तो जियो झूम कर
अमरता तुम्हारे कदम चूम लेगी ...
न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम
सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी
सदा जो बिना जगाये ही जगा है
अँधेरा उसे देखकर ही भगा है
वंही बीज पनपा पनपना जिसे था
धुना क्या किसके उगाये उगा है
अगर उअग सको तो उगो सूर्य से तुम
प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी
सही राह को छोड़कर जो मुड़े है
वही देखकर दूसरों को कुढ़े है
बिना पंख तोले जो गगन में उड़े है
न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े है
अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम
प्रखरता तुम्हारे कदम चूम लेगी
न जो बर्फ की आँधियों से लड़े है
कभी पगा न उनके शिखर पर पड़े है
जिन्हें लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से है
वही जी चुराकर तरसते खड़े है
अगर जी सको तो जियो झूम कर
अमरता तुम्हारे कदम चूम लेगी ...
सनी कक्षा ५,
अपना स्कूल, तम्साहा, कानपुर
Saturday, December 24, 2011
शीर्षक: - पैसा की है रैसा
पैसा की है रैसा
यदि पैसा होता मेरे पास ,
तो आज भी मेरे दिन होते खास |
गले में होती रुमाल ,
हाथ में होता मोबाईल |
बड़े बड़े कराते अपने बाल ,
चलते हीरो वाली चाल |
कोई न होता मेरे जैसा ,
क्योंकि मेरे पास है पैसे की रैसा |
नाम : - धारो
कक्षा : - एक
सेंटर : - मेरा ब्रिक फील्ड
Thursday, December 1, 2011
कविता : दिल्ली की बिल्ली
दिल्ली की बिल्ली
दिल्ली से बिल्ली मंगवाई ,
खाती है वह दूध मलाई |
काली काली , मोटी मोटी ,
पूँछ बड़ी है आँखे छोटी |
चूहे जब बिल्ली की हैं आहट पाते,
डर कर बिल में छिप जाते |
जब मै इसको दूध पिलाऊं ,
तब करती यह म्याऊं म्याऊं |
नाम : सलेहा
कक्षा : 2nd
सेंटर : अपना स्कूल , पनकी पड़ाव
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