Thursday, January 25, 2024

Princeton Foundation National Fellowship for Peace and Learning 2023-2024 में हेमा मांझी का चयन

 बहुत ही गर्व की बात है की Apna Skool की छात्रा हेमा मांझी ( Hema Manjhi) जो ईट-भट्ठे पर काम करने वाले प्रवासी परिवार की एक बच्ची है उसने इस वर्ष अगस्त में Princeton Foundation National Fellowship for Peace and Learning (https://pfplus.org/) 2023-2024 के लिए अप्लाई किया था । जिसमे हेमा ने ऑनलाइन लिखित परीक्षा दी ,उसमें उसने परीक्षा पास की। ये परीक्षा आल इंडिया स्तर (Only underprivileged girls are eligible for the Princeton Foundation National Fellowship for Peace and Learning All India Level Examination Fellowship) की थी ।और उसके बाद एक इंटरव्यू भी हुआ। उसको भी उसने सफलता पूर्वक उत्तीर्ण किया।हेमा का Princeton Foundation National Fellowship for Peace and Learning 2023-2024 में चयन हो गया है। इसमें इन्हे परास्नातक की पढाई के लिए पूरा खर्चा #Princetonfoundation देगी और Princeton Foundation के माध्यम से इंटरनशिप भी कर सकेंगी। आज हेमा के माता -पिता के साथ -साथ उनके गांव तेलारी( नवादा ,बिहार) के लोग भी अपने आपको बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहे है। हेमा अपने परिवार की फर्स्ट जनरेशन लर्नर है। इसके पहले इनके परिवार का कोई भी सदस्य स्कूल नहीं गया है। हेमा अपने गांव के मांझी समुदाय में पहली सफल बेटी है।

(PS : The Princeton Foundation for Peace and Learning is a global organization underpinned with the belief that, “World is One Family”) इसका मुख्यालय USA में है।
हेमा के माता-पिता कारी देवी (मां) और बिरजू (पिता) अपने पूरे परिवार के साथ यूपी के कानपुर के ईंट भट्टों में काम करने के लिए साल में आठ महीने के लिए बिहार से लगभग 20 वर्षों से पलायन करते आ रहे हैं। हेमा के दो भाई और एक बहन है , वे परिवार में कुल छह सदस्य हैं, और उनकी प्रवासी जीवनशैली के कारण, किसी भी बच्चे का औपचारिक स्कूल में नामांकन नहीं हुआ था ।
हेमा ने अपनी कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई इट भट्ठों पर जागृति बाल विकास द्वारा संचालित अनौपचारिक शिक्षण केंद्र "अपना स्कूल" में की, और उसके आगे की अभी तक पढाई (B A.) भी Apna Skool के सहयोग से ही कर रही है।और स्कूल में रहते हुए उन्हें विशेष रूप से कहानियों की किताबें पढ़ने में मज़ा आता था। उसे खो-खो खेलना पसंद है और वह दोस्तों के साथ झूले पर खेलने का आनंद लेती थी। उसने साफ-सुथरा और सावधानीपूर्वक रहना सीख लिया है। वह बड़ी होकर टीचर बनना चाहती है और कई बच्चों को पढ़ाना चाहती है। वह घर के कामों में अपनी मां की मदद करती है। वह पड़ोसियों और बुजुर्गों की सहायता करना पसंद करती है। फिलहाल वह बीए अंतिम वर्ष की पढ़ाई के लिए कॉलेज जा रही हैं। और इसके साथ -साथ समय मिलने पर ईट- भट्ठों पर अपना स्कूल के माध्यम से बच्चों को पढ़ाती भी है और वापस जब 4 महीने के लिए भट्ठे में काम बंद हो जाता है जब हेमा बिहार वापस अपने गांव जाती है तब वहां अपने गांव के बच्चों को अपना स्कूल के सहयोग से सरकारी स्कूल में ले जाकर पढ़ाती है। हेमा को देखकर दूसरी लड़कियों को भी शिक्षित होने और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है|
वर्तमान में हेमा का परिवार चौबेपुर क्षेत्र के कालरा -3 इट भट्ठे पर काम करने के लिए आया है।


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