पेड़ लगाया ऐसा,
झिलमिल तारो जैसा।
पत्ते हो बिस्कुट जैसे ,
फलों और टॉफी जैसे।
पेड़ लगाया ऐसा ,
झिलमिल तारो जैसा।
डाल पकड़ के अलग हिलाऊँ ,
टप -टप बरसे पैसा।
नाम - कल्पना
कक्षा - 2
अपना स्कूल सम्राट
संगीता जी यह कविता राम नरेश उज्ज्वल की है। आपको कहां से मिली। क्या किताब मिल सकती है। मेरा व्हाट्स ऐप नम्बर है 7071793707 . कृपया सूचित करें
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