Apna Skool
An initiative to educate the child of a migrant worker
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Monday, October 31, 2011
कविता : मोर
मोर
वह देखो आता मोर,
चुनचुन दाने खाता मोर|
सबसे सुंदर है यह मोर ,
है अच्छा नाच दिखाता मोर |
वह देखो आता मोर,
कितना प्यारा है यह मोर|
नाम : अजय कुमार
कक्षा : 1st
सेंटर : अपना स्कूल , कालरा भट्टा
कविता :नाव चली
नाव चली
नाव चली भाई नाव चली ,
चुन्नू जी की नाव चली |
चली चली उस पर चली ,
छप छप करती नाव चली|
नाम : संदीप कुमार
सेंटर : अपना स्कूल , कालरा
Saturday, October 22, 2011
कविता : काला कौआ
काला कौआ
कौआ होता है काला,
और होता है बड़ा मतवाला |
करता है वह काँव काँव ,
जाता है वह गाँव गाँव |
जूठा सबका है ये खाता,
काँव काँव नहीं इसका भाता |
नाम : नीरज कुमार
कक्षा : 3rd
Monday, October 17, 2011
कविता : सफ़ेद खरगोश
सफ़ेद खरगोश
खरगोश है ये
खरगोश है ,
सफ़ेद रंग का खरगोश है |
सबसे सुंदर खरगोश है ,
लाल गाजर है ये खाता|
पूंछ हिलाते है ये जाता ,
खरगोश है ये
खरगोश है |
सफ़ेद रंग का खरगोश है,
नाम : अंकित कुमार
कक्षा : 4th
अपना स्कूल धामीखेड़ा
Wednesday, October 12, 2011
कविता - गुलाब
गुलाब
काँटों में खिलते हैं लाल गुलाब ,
खुशबू है जिसके अन्दर वह है गुलाब |
गुलाब गुलाबी और होते हैं सफ़ेद ,
जब महके तो खोले सबके भेद |
गुलाब के रंगों की जब होती है बौछार ,
उसकी महक से बढ़ता प्यार ही प्यार |
काँटों में खिलते हैं लाल गुलाब ,
खुशबू है जिसके अन्दर वह है गुलाब |
नाम : संगीता देवी
कक्षा : 2th
सेंटर : अपना स्कूल धामीखेड़ा
कानपुर |
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