Monday, March 10, 2014

कहानी लेखन प्रतियोगिता

कहानी लेखन प्रतियोगिता
(आयोजक -छात्र हिन्दी साहित्य सभा एवं राजभाषा प्रकोष्ठ ,भा.प्रौ.सं.कानपुर)

रोली  :प्रथम :कक्षा-5  (अपना स्कूल धमीखेड़ा )
संगीता :द्वितीय  :कक्षा-5  (अपना स्कूल धमीखेड़ा )
अजय :तृतीय :कक्षा -7 (अपना स्कूल तातियागंज )


छात्र हिन्दी साहित्य सभा एवं राजभाषा प्रकोष्ठ ,भा.प्रौ.सं.कानपुर द्वारा 1 फरवरी 2014  को आई आई टी कानपुर परिसर में कक्षा 5 से 8 तक के बच्चो के लिए कहानी लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। ये प्रतियोगिता 4 ग्रुपों में हुई। जिसमे 5 विद्यालयों के लगभग 125 बच्चों ने भाग लिया। 
कक्षा -5 में अपना स्कूल धमीखेड़ा से रोली ने प्रथम व संगीता ने द्वितीय स्थान और कक्षा -7 में अपना स्कूल तातियागंज के अजय ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। 5 मार्च 2014 को पुरस्कार वितरण समारोह में बच्चो को पुरस्कार मिले। 

Saturday, February 15, 2014

ART COMPETITION (26 January 2014)
Venue- I.I.T Kanpur
WINNER -
Class :  3  to 5
First Prize      -  Sangeeta ,Class -5 (Apna Skool Dhamikheda)
Second Prize  -  Roli ,Class -5 (Apna Skool Dhamikheda)
Consolation -     Anjali : Class-5 ,Shalu : Class-5 (Apna Skool Dhamikheda)
Class :  6  to 8
Consolation -     Nahid :Class-8(Apna Skool Dhamikheda)

26 जनवरी को शिक्षा सोपान के द्वारा आई आई टी कानपूर के परिसर में आयोजित कला प्रतियोगिता में आस पास के स्कूलों के लगभग 400 बच्चो ने भाग लिया। जिसमे "अपना स्कूल धामीखेड़ा " सेंटर के 6 बच्चो ने भाग लिया। कक्षा 5 के 5 छात्राओं  ने और कक्षा -8 कि 1 छात्रा ने।
 जिसमे कक्षा 3 से 5 के ग्रुप में अपना स्कूल धामीखेड़ा कि संगीता ने  प्रथम और रोली ने  द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया। अंजलि और शालू  (अपना स्कूल धामीखेड़ा ) ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया। 
कक्षा 6 से 8 के ग्रुप में अपना स्कूल धामीखेड़ा  कि कक्षा -8 कि छात्रा नाहिद ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया। 

Monday, January 20, 2014

प्रवासी मजदूरों का बंधुआ मजदूरी से मुक्ति का आगाज

अपना स्कूल टीम के लगातार प्रयास के द्वारा वर्षों से बंधुआ मजदूरी कर रहे प्रवासी मजदूरों को बंधुआ मजदूरी से मुक्ति कि शुरुआत -

नगदी में इस वर्ष वी.आई.पी. भट्टा सरसौल में काम करने आने वाले 9 मजदूरों के नाम 
  1. राजू      - मौदहा 
  2. वरदानी -मौदहा 
  3. गोवर्धन -मौदहा 
  4. भारती  -हमीरपुर 
  5. सुभाष  -हमीरपुर 
  6. दौलतराम-हमीरपुर 
  7. आरती  -हमीरपुर 
  8. कुसुमकली-मौदहा
  9. सुमन  -मौदहा 
ये सभी मजदूर मौदहा हमीरपुर ,उत्तर प्रदेश के रहने वाले है पिछले 10 वर्षों से भट्टो पर काम करने आ रहे है परन्तु हमेशा ठेकेदार के द्वारा बंधुआ मजदूरी पर काम करने आते रहे है। ये पहली बार है ,जब ये मजदूर अपना स्कूल टीम के द्वारा जागरूक करने के बाद नगदी में काम करने आये है।
अपना स्कूल के लगातार प्रयास के बाद वी.आई.पी. भट्टा सरसौल में 9 मजदूर ठेकेदार के द्वारा न आकर स्वत: भट्टे पर काम करने आये है। ये मजदूर पिछले वर्ष टिकरा कल्याणपुर कि तरफ मुरारी भट्टे  पर थे। अपना स्कूल टीम के द्वारा जागरूक करने पर इन लोगों ने ठेकेदार से अग्रिम पैसा नहीं लिया तथा जो चार माह गाँव में रहकर खर्च चलाना होता है उसकी किसी तरह से व्यवस्था कि। क्योंकि यदि ठेकेदार से एडवांस पैसा लेते है तो पथाई में 400 रु प्रति हजार मिलता है और अगर स्वत: आते है तो इन्हे 525 रु प्रति हजार कि दर से मिलता है। और एक परिवार लगभग 3 लाख के आस पास ईंट पथाई कर लेता है। 
इस प्रकार प्रति हजार 125 / रु अंतर आया ,यदि यही अंतर पूरे ईंट पर जोड़ा जाये तो लगभग 35000 होता है जो कि इनकी कमाई का यही पैसा ठेकेदार को कमीशन के रूप में जाता है। लेकिन स्वत: आने पर इस वर्ष इनका यह पैसा बचेगा। जिससे उनके परिवार कि आर्थिक स्थिति में परिवर्तन आएगा। 

Wednesday, January 15, 2014

ART COMPETITION
WINNER -
First Prize      -  Sangeeta ,Class -5 (Apna Skool Dhamikheda)
Second Prize  -  Anjali ,Class -5 (Apna Skool Dhamikheda)




A children's arts competition, held under the auspices of kalyanpur festival organised by a Kanpur News paper team, had over 500 school children participating from 26 kanpur area schools.

Seven children from class V of the Apna Skool Dhamikheda centre also participated .In spite of stiff competition from many affluent schools, Sangeeta and Anjali from Apna Skool the first and second prize!!

Monday, January 13, 2014

Science Mela

SCIENCE MELA 


प्रयोग - चुंबकीय कंकाल 
सहायक सामग्री -  एक ताकतवर चुम्बक ,एक साधारण चुम्बक लकड़ी का एक छोटा आयताकार टुकड़ा ,पी वी सी पाइप
  ,साइकिल कि दो तीलियां ,एल्यूमिनियम का तार तथा सुई धागा। 

प्रयोग विधि - पी वी सी पाइप में दो तीलियाँ लगाये। नीचे कि तीली में एक धागा बांधे उसके साथ में एक चुम्बक भी बांधे। ऊपर के तीली में ताकतवर चुम्बक लगाये ,उस ताकतवर चुम्बक कि वजह से नीचे वाला चुम्बक उसकी ओर आकर्षित होता है और धागा तना रहता है हम धागे कि स्थान पर एक कंकाल लटका सकते है। कंकाल स्ट्रा या हल्की चीजो का बना और उसका सिर स्टैटफॉम का बना है और उसके अंदर एक चुम्बक घुसा देते है ये चुम्बक ही ऊपर के ताकतवर चुम्बक कि और आकर्षित होता है और ये कंकाल हवा में लटकता रहता है और झूलता रहता है। आप इसे थोडा सा हिलाएंगे ये नाचने लगेगा। अपने हाथ पैर हिलाने लगेगा।  

परिणाम - ऊपर अधिक ताकतवाला चुम्बक नीचे के काम ताकत वाले चुम्बक को अपनी और आकर्षित करता है। इसलिए कंकाल नीचे नहीं गिरता है 

(नाम - अंजलि - कक्षा : 5  , ज्योति -कक्षा :8 )


अम्ल एवं  क्षार का परिक्षण 

सहायक सामग्री - लाल व नीला लिटमस पेपर ,नीबू ,पानी -साबुन का घोल। 
परिक्षण 
  • अम्लों कि पहचान -एक परखनली में नीबू के रस कि कुछ बूंदे ले। नीले व लाल लिटमस पेपर द्वारा इसका परिक्षण करेंगे। नीला लिटमस पेपर लाल हो जाता है। 
निष्कर्ष - नीबू के रस में सिट्रिक अम्ल होता है जो नीले लिटमस पेपर को नीला कर देता है। 
  • क्षार कि पहचान - साबुन का घोल या डाईजीन को पानी में घोल लेंगे फिर इसका परिक्षण लाल एवं नीले लिटमस पेपर से करेंगे। लाल लिटमस पेपर नीला हो जाता है। 
 निष्कर्ष - साबुन के घोल एवं डाईजीन का घोल लाल लिटमस पेपर को नीला कर देता है। क्षार अम्ल के प्रभाव को निष्क्रिय कर देता है। 


मृदा परिक्षण 
सहायक सामग्री मिटटी ,पानी ,लाल व नीला लिटमस पेपर एवं थाली। 
प्रयोग विधि - एक बर्तन में खेत कि मिटटी लेंगे। उसमे इतना पानी मिलायेंगे कि घोल तैयार हो जाये। तब लाल और नीला लिटमस पेपर बारी -बारी से घोल में डालेंगे। 
  • लाल लिटमस पेपर यदि नीला हो जाये तो मिटटी क्षारीय होती है 
  • नीला लिटमस पेपर यदि लाल  हो जाये तो मिटटी क्षारीय होती है 
(नाम - शालू - कक्षा : 5 )
ब्रश इन रश (बैटरी से चलने वाला चूहा )
                        
( नाम -शबाना, कक्षा -2 )

नाचने वाली चुंबकीय गुड़िया 


औषधीय पौधे और उनके उपयोग 
  • गुर्च - इसकी बेल के टुकड़े करके पानी में उबाल कर पीने से बुखार ठीक हो जाता है एवं शरीर के दर्द में आराम मिलता है। पुराना से पुराना ज्वर ठीक हो जाता है तथा फेफड़ो में कफ नहीं बनता है। 
  • चठर -पथर - इसके सम्पूर्ण पौधे को पीलिया से ग्रसित रोगी के संपर्क समाप्त हो जाती है में (स्पर्श ) रखने से पीलिया जड़ से 
  • गेंदा - गेंदा कि पत्ती का रस निकल;कर हल्का गुनगुना करके कान में डालने से कान के फोड़े और दर्द ठीक हो जाता है 
  • नीम - नीम कि पत्तियों को पानी में उबालकर पानी पानी से नहाने से चर्म रोग ठीक हो जाता है। फोड़े -फुंसी में नीम कि छाल को पीस  कर लगाने से ठीक हो जाती है 
  • तुलसी - तुलसी कि पत्तियां खाने से स्मरण शक्ति बढती है खासी होने पर तुलसी कि पत्तियों कि साथ अदरक ,काली मिर्च ,शहद के साथ मिलाकर खाने से (पीसकर ) खासी में आराम मिलता है 
(नाम -संगीता ,सलोनी : कक्षा -5 )




Thursday, November 7, 2013

कविता - महात्मा गाँधी जी

भारत के सम्मान है गाँधी। 
इस युग कि पहचान हैं गाँधी।। 
चौराहों पर खड़े है गाँधी। 
मैदानो के नाम है गाँधी।। 
दीवारों पर टंगे है गाँधी। 
पढने -पढ़ाने में है गाँधी।। 
राजनीति में भी है गाँधी। 
मज़बूरी का नाम हैगाँधी।। 
टोपी कि एक ब्रांड है गाँधी। 
वोट में गांधी ,नोट में गाँधी।। 
अगर नहीं मिलते तो वह है। 
जनमानस की सोच में गांधी।।

नाम -अलका 
कक्षा - 5 
अपना स्कूल धमीखेड़ा 

Thursday, October 24, 2013

कविता : बस्ता

बस्ता बेहद भारी है, 
कैसी यह लाचारी है।
उठाना इसे मजबूरी है, 
पढ़ना बहुत जरुरी है ।

नाम -  हालीदा  
कक्षा - 2 
अपना स्कूल पनकी पड़ाव  

कविता :धोबी 

धोबी आया ,धोबी आया 
साथ में अपने थैला लाया
थैले में  गंदे कपड़े लाया 
धो -धो कर उनको चमकाया 
घर -घर कपड़ों को पहुचाया
धोबी आया ,धोबी आया ।
नाम -अलका 
कक्षा - 4 
अपना स्कूल धामीखेड़ा 

Wednesday, October 23, 2013

Paintings

Name - Alka
Class-   IV
Apna Skool Dhamikheda 


Name - Anjali
Class-   V
Apna Skool Dhamikheda


Name - Sangeeta
Class-   V
Apna Skool Dhamikheda
Name - Kunti
Class-   IV
Apna Skool Panki 
Name - Seema
Class-   II
Apna Skool Kalra -III


Thursday, September 19, 2013

Jai Krishna


















Name- Roli
Class - V
Centre -Dhamikheda Apna Skool

Friday, September 6, 2013

शिक्षक दिवस समारोह(5 सितम्बर,2013)

" एक किरण उजाले की ओर"
शिक्षक दिवस समारोह के दिन सभी "अपना स्कूल" (जाग्रति बाल विकास समिति ) केन्द्रों के बच्चों ने जन जागरूकता रैली निकाली और अपने केंद्र के पास के चौराहों पर जाकर नुक्कड़ नाटक किया , जिसका विषय था "लड़कियों की शिक्षा ". (एक किरण उजाले की ओर)
 25 वर्षों पूर्व जब "अपना स्कूल " का पहला केंद्र " दीप भट्टा भौती अपना स्कूल" शुरू हुआ था वहां पर एक भी माँ -पिता अपनी बच्ची को केंद्र पर भेजने को तैयार नहीं थे
लेकिन "अपना स्कूल" की संचालिका श्रीमती विजया रामचंद्रन दीदी और कार्यकर्ताओ के 25 वर्षो के लगातार के  प्रयास के बाद "अपना स्कूल " के 25 केन्द्रों पर इस समय लगभग 650 बच्चे है. जिसमे 45  % लड़कियां और 55  % लड़के पढ़ने आ रहे है . क्योंकि अगर घर की स्त्री साक्षर होगी ,तभी एक पूरा परिवार भी शिक्षित होगा। जिससे एक शिक्षित समाज का निर्माण होगा।