SCIENCE MELA
प्रयोग - चुंबकीय कंकाल
सहायक सामग्री - एक ताकतवर चुम्बक ,एक साधारण चुम्बक लकड़ी का एक छोटा आयताकार टुकड़ा ,पी वी सी पाइप
,साइकिल कि दो तीलियां ,एल्यूमिनियम का तार तथा सुई धागा।
प्रयोग विधि - पी वी सी पाइप में दो तीलियाँ लगाये। नीचे कि तीली में एक धागा बांधे उसके साथ में एक चुम्बक भी बांधे। ऊपर के तीली में ताकतवर चुम्बक लगाये ,उस ताकतवर चुम्बक कि वजह से नीचे वाला चुम्बक उसकी ओर आकर्षित होता है और धागा तना रहता है हम धागे कि स्थान पर एक कंकाल लटका सकते है। कंकाल स्ट्रा या हल्की चीजो का बना और उसका सिर स्टैटफॉम का बना है और उसके अंदर एक चुम्बक घुसा देते है ये चुम्बक ही ऊपर के ताकतवर चुम्बक कि और आकर्षित होता है और ये कंकाल हवा में लटकता रहता है और झूलता रहता है। आप इसे थोडा सा हिलाएंगे ये नाचने लगेगा। अपने हाथ पैर हिलाने लगेगा।
परिणाम - ऊपर अधिक ताकतवाला चुम्बक नीचे के काम ताकत वाले चुम्बक को अपनी और आकर्षित करता है। इसलिए कंकाल नीचे नहीं गिरता है
(नाम - अंजलि - कक्षा : 5 , ज्योति -कक्षा :8 )
अम्ल एवं क्षार का परिक्षण
सहायक सामग्री - लाल व नीला लिटमस पेपर ,नीबू ,पानी -साबुन का घोल।
परिक्षण
- अम्लों कि पहचान -एक परखनली में नीबू के रस कि कुछ बूंदे ले। नीले व लाल लिटमस पेपर द्वारा इसका परिक्षण करेंगे। नीला लिटमस पेपर लाल हो जाता है।
निष्कर्ष - नीबू के रस में सिट्रिक अम्ल होता है जो नीले लिटमस पेपर को नीला कर देता है।
- क्षार कि पहचान - साबुन का घोल या डाईजीन को पानी में घोल लेंगे फिर इसका परिक्षण लाल एवं नीले लिटमस पेपर से करेंगे। लाल लिटमस पेपर नीला हो जाता है।
निष्कर्ष - साबुन के घोल एवं डाईजीन का घोल लाल लिटमस पेपर को नीला कर देता है। क्षार अम्ल के प्रभाव को निष्क्रिय कर देता है।
मृदा परिक्षण
सहायक सामग्री - मिटटी ,पानी ,लाल व नीला लिटमस पेपर एवं थाली।
प्रयोग विधि - एक बर्तन में खेत कि मिटटी लेंगे। उसमे इतना पानी मिलायेंगे कि घोल तैयार हो जाये। तब लाल और नीला लिटमस पेपर बारी -बारी से घोल में डालेंगे।
- लाल लिटमस पेपर यदि नीला हो जाये तो मिटटी क्षारीय होती है
- नीला लिटमस पेपर यदि लाल हो जाये तो मिटटी क्षारीय होती है
(नाम - शालू - कक्षा : 5 )
ब्रश इन रश (बैटरी से चलने वाला चूहा )
( नाम -शबाना, कक्षा -2 )
नाचने वाली चुंबकीय गुड़िया
औषधीय पौधे और उनके उपयोग
- गुर्च - इसकी बेल के टुकड़े करके पानी में उबाल कर पीने से बुखार ठीक हो जाता है एवं शरीर के दर्द में आराम मिलता है। पुराना से पुराना ज्वर ठीक हो जाता है तथा फेफड़ो में कफ नहीं बनता है।
- चठर -पथर - इसके सम्पूर्ण पौधे को पीलिया से ग्रसित रोगी के संपर्क समाप्त हो जाती है में (स्पर्श ) रखने से पीलिया जड़ से
- गेंदा - गेंदा कि पत्ती का रस निकल;कर हल्का गुनगुना करके कान में डालने से कान के फोड़े और दर्द ठीक हो जाता है
- नीम - नीम कि पत्तियों को पानी में उबालकर पानी पानी से नहाने से चर्म रोग ठीक हो जाता है। फोड़े -फुंसी में नीम कि छाल को पीस कर लगाने से ठीक हो जाती है
- तुलसी - तुलसी कि पत्तियां खाने से स्मरण शक्ति बढती है खासी होने पर तुलसी कि पत्तियों कि साथ अदरक ,काली मिर्च ,शहद के साथ मिलाकर खाने से (पीसकर ) खासी में आराम मिलता है
(नाम -संगीता ,सलोनी : कक्षा -5 )