मेढक
मेढक बोल रहा है टर्र - टर्र ,बारिश होगी जाने कब ?
गर्मी की है वाह -वाही ,
बच्चा-बच्चा बोल रहा गर्मी जाएगी कब ?
धरती है न जाने कितनी प्यासी ?
किसान के चेहरे पर छाई है मायूसी ।
इस गर्मी ने तो सबको किया निराश ,
जिससे टूटी सबकी आश ।
छाये हैं बादल काले - काले ,
न बरश दिए दुःख के प्याले ।
जब यह गरज -गरजकर बरसेंगे ,
तब ये मन भावन -सावन लायेंगे ।
धरती होगी हरी - भरी ,
लगेगी बागों की सुंदरी ।
नाम - ज्योति
कक्षा -5th
सेंटर - अपना स्कूल धामीखेड़ा
सेंटर , कानपुर