जलती जमी में, चमकती धूप में,
बहकती लू में अगर पड़े मेरे गाँव,
और महसूस होने लगे, पीपल का छाँव,
तो समझो आ गया मेरा गाँव,
ठंडी हवाएं हो सुन्दर घटाएं हों,
नहर, तालाबों में, पानी का ठहराव हो,
और बादलों का घेराव हो |
तो समझो आ गया मेरा गाँव,
तेरी बुराइयों को हर एक अखबार कहता है |
और तू मेरे गाँव को गंवार कहता है |
नाम: ज्योति कुमारी
कक्षा: 10
अपना स्कूल, कानपुर
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