Monday, June 2, 2014

ईंट भट्टों में काम के बोझ के नीचे दबे प्रतिभावान बच्चे ,सिर्फ एक मौका मिलने की जरुरत है
"अजय पर यह बात सच साबित होती है ,की हीरा कोयले की खान में मिलता है ।" -
 (अजय ने अपनी कक्षा 7 में प्रथम स्थान प्राप्त किया। )


मेरा नाम अजय है।मुझे आप सबको बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है, की भट्टे पर प्रतिदिन काम करने के साथ- साथ समय मिलने पर पढाई करते हुए ,इस वर्ष मैंने अपनी कक्षा  में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।मेरी माँ भी बहुत खुश है। काफी समय पहले मेरे पिता जी का स्वर्गवास हो गया। मेरे बड़े भाई जिनकी शादी हो चुकी है वो अपने परिवार के साथ अलग रहने लगे। मैं ,मेरी बूढी माँ और मेरा छोटा भाई विजय एक साथ कालरा भट्टे पर रहते है। हम झारखण्ड के रहने वाले है लेकिन वहां पर आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारन ,हमारा परिवार काम की तलाश में उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर जिले में चौबेपुर की तरफ कालरा भट्टे पर अक्टूबर से जून तक ईंट की निकासी करने का काम करते है। उसके बाद वापस अपने गाव झारखण्ड चले जाते है।

मैंने अपनी पढाई कालरा भट्टे पर चल रहे अपना स्कूल से शुरू की। मैं भट्टे पर निकासी का काम करता और काम के बीच में जैसे ही समय मिलता मैं अपना स्कूल में आकर पढाई करता। मुझे पढ़ना बहुत पसंद है। कक्षा 5 तक की पढाई मैंने अपना स्कूल कालरा भट्टे पर ही पूरी की।उसके बाद मेरा दाखिला अपना स्कूल के द्वारा चौबेपुर के आदर्श इण्टर कॉलेज में कराया गया। सारा सहयोग अपना स्कूल के द्वारा ही होता है. किताबो से लेकर फीस और यूनिफार्म तक। मेरा छोटा भाई विजय भी मेरी ही कक्षा में पढता है।

1 comment:

  1. शाबाश अजय ! तुम्हारी सफलता बहुत ही प्रेरणात्मक है | ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि तुम इसी प्रकार जीवन की हर परीक्षा में सफल हो |

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