Wednesday, April 13, 2011
कविता : कोयल हूँ मैं कोयल
 कोयल हूँ मैं कोयल 
कोयल हूँ मैं कोयल हूँ ,
काली  काली कोयल हूँ |
हरे पेड़ों की डाल पर बैठती हूँ ,
सबको मीठे गीत सुनाती हूँ |
सबको मैं बहलाती हूँ ,
तभी तो सबके मन को भाती हूँ |
कोयल हूँ मैं कोयल हूँ  , 
 काली काली कोयल हूँ |
नाम : शैलेश कुमार 
कक्षा : 5th 
सेंटर : अपना स्कूल ,
          कानपुर
Tuesday, April 12, 2011
कहानी : शेर की चतुराई कम न आई
शीर्षक : शेर की चतुराई काम न आई 
किसी एक जंगल में शेर , हाथी , बन्दर , खरगोश , गीदड़ , हिरन , सियार , बारहसिंघा आदि कई प्रकार के जानवर रहते थे | एक बार शेर ने घोषणा  की कि मैं इस जंगल का राजा हूँ , यदि जिसने मेरा कहना नहीं माना तो उसे अवश्य दंड मिलेगा , इतना कहकर वह वहां से चला गया | अगले दिन वह बहुत भूखा था , पर करता क्या ? उसके हाथ कोई शिकार भी नहीं लग रहा था | उसने सोचा कि मेरा कोई नौकर होना चाहिए , जो कि मेरे लिए शिकार लेकर आये और मैं अपना पेट भर सकूँ | तभी उधर से एक सियार निकल पड़ा , शेर ने सियार से कहा कि - क्या तुम मेरा नौकर बनना पसंद करोगे ? उसने जवाब दिया क्यों नहीं महराज ? शेर ने कहा कि तो जाओ अभी से काम करना शुरु करो | मेरे लिए कोई शिकार ढूंढ़कर लाओ | सियार शिकार की तलाश में निकल पड़ा | वह जा ही रहा था कि रास्ते में उसे एक गीदड़ मिला , उसने पूछा कि तुम कहाँ जा रहे हो ? उसने कहा कि मैं राजा का नौकर हूँ और उसके लिए शिकार ढूंढने जा रहा हूँ | गीदड़ ने कहा कि क्या तुमको यह नहीं पता की शिकारियों ने इस जंगल को चारों ओर से घेर लिया है ?सियार ने कहा कि मैं यह बात जाकर राजा को बताता हूँ | उसने जाकर सारी बात जंगल के राजा शेर को बताई | शेर यह बात सुन कर पहले तो घबरा गया और बाद में कहा कि चलो मैं चलकर देखता हूँ कि यह बात सच है या फिर झूठी है | इधर वह सियार के साथ चल पड़ा | उधर शिकारियों ने चारों तरफ से जाल बिछा दिया | जैसे ही शेर जाल के किनारे पहुँचा उसे तुरंत एक तीर लगा और वह वहीँ पर गिरकर बेहोश हो गया | शिकारी उसके पास आये और उसे ट्रक में लादकर लेकर चले गए | 
नाम : सूरज कुमार 
कक्षा : 4th  
सेंटर : अपना स्कूल 
         धामीखेड़ा
Monday, April 11, 2011
शीर्षक : मैं सबका जीवन
 मैं सबका जीवन 
पेड़ हूँ मैं पेड़ हूँ .........., 
कितना सुन्दर पेड़ हूँ | 
सबको ऑक्सीजन देना मेरा काम ........,
कार्बनडाईऑक्साईड देना आपका काम |
फल-फूल देता मैं तुमको...........,
मेरी छाया भाती सबके मन को | 
कितना अच्छा पेड़ हूँ ,
पेड़ हूँ मैं पेड़ हूँ  ........| 
बस मेरा एक ही सन्देश ...... ,
शायद आ जाये आपको होश  | 
यदि ज्यादा दिन हो आपको जीना . ,
 तो बीड़ी , सिगरेट मत पीना ........| 
 पेड़ - पौधे और अधिक लगाओ ,
 अपना जीवन और बढ़ाओ  .....| 
नाम : शंकर कुमार 
कक्षा : 7th  
सेंटर : अपना स्कूल 
         कालरा प्रथम 
Sunday, April 10, 2011
शीर्षक : नेता जी हैं बड़े निकम्मे
 नेता जी हैं बड़े निकम्मे 
नेता जी हैं बड़े निकम्मे ,
गरीब को बहुत सताते हैं | 
नेता जी कुर्सी पाते ही , 
जनता को भूल जाते हैं |  
गरीब बैठते हैं जमीन पर ,
नेता जी सोते हैं बेड पर | 
गरीब के घर में पड़ा है सूखा ,
उनका बच्चा मरता भूखा | 
नेता जी हैं घूस के प्यासे ,
गाँव में बूढ़े रातों-दिन खांसे |
आओ प्यारे साथी आओ ,
हम सब मिल एक आवाज लगाओ | 
गरीबी को दूर भगाओ ,
नेता जी को मार लगाओ | 
भ्रष्टाचार से मुक्ति पाओ ,
जीवन को खुशहाल बनाओ | 
नाम :  रामसिंह 
कक्षा :  8th  
स्कूल : स्वामीविवेका नन्द विद्यालय 
           लोधर , मंधना , कानपुर 
 Saturday, April 9, 2011
Friday, April 8, 2011
शीर्षक : गोल-गोल भट्ठा कैसा ?
गोल-गोल भट्ठा कैसा  ? 
गोल - गोल ये भट्ठा कैसा ? 
कमा रहे हैं बाबू  पैसा | 
काम करे है बच्चा - बच्चा , 
आलू खाना पड़ रहा हमको कच्चा | 
मुझको बता दो इसका हाल , 
आलू क्यों होता गोल मटोल ? 
क्योंकि सब बच्चे पढ़ते हैं भूगोल ,
बाबू नहीं रखते हैं मजदूरों का ख्याल | 
भट्ठा है यह एक धोखे जैसा , 
काम हम करें , बाबू कमाता पैसा |
अपने हाथों से ईंटें हमीं बनाते , 
फिर भट्ठे के अंदर हमीं पकाते |
मजदूर भाई काम करे हैं सारा ,
बाबू पैसा मारे सबका और हमारा | 
यह भट्ठा है कैसा ? 
जब चले तो लगता घड़ी के जैसा | 
नाम : अजय कुमार 
कक्षा : 5th  
सेंटर : अपना स्कूल 
         कालरा प्रथम 
Wednesday, April 6, 2011
शीर्षक : बन्दर आया
कविता : बन्दर आया 
उछल कूदकर बन्दर आया ,
साथ में अपने तम्बू लाया | 
लम्बू ने भई टेंट लगाया , 
तब भालू ने टेंट में पेंट लगाया |
तभी दौड़कर आया बन्दर ,
सबको कर दिया जेल के अन्दर |
सबसे करवाया जेल में काम ,
तब से फैला उस जंगल में उसका नाम | 
 नाम : अजय कुमार 
कक्षा : 5th  
सेंटर : अपना स्कूल 
         कालरा प्रथम  
Monday, April 4, 2011
शीर्षक : भ्रष्टाचार
 भ्रष्टाचार 
मरे को क्या मारते हो  ................ ,
वर्दी पहन लोगों पर रोब जमाते हो |
गरीबों पर करते हो अत्याचार  ...,
मर्द हो तो ख़त्म करो भ्रष्टाचार  | 
नाम : आशीष सिंह वर्मा 
कक्षा : 8th  
स्कूल : रामकृष्ण मिशन  
Sunday, April 3, 2011
शीर्षक : सोच समझ कर कदम उठाना
 सोच समझ कर कदम उठाना  
एक बहुत समय पहले की बात है कि किसी एक गाँव के पास एक बहुत बड़ा पहाड़ था | उस पहाड़ के ऊपर चीटियों का एक बिल था | उन्होंने गर्मी में अपने साथियों से कहा कि चलो धान लेने चलते हैं फिर सभी चीटियों ने मिलकर बहुत धान इकठ्ठा किया | पूरी गर्मी भर खाया , बरसात में भी और आने वाले सर्दी के मौसम में भी खाया | फिर सबका बंटवारा हुआ | सबको अपनी - अपनी मेहनत के बराबर हिस्सा मिला और उन्होंने आगे आने वाले समय में खाया और आगे के लिए बीन कर रखा | 
नाम : अमित कुमार 
कक्षा : 4th  
सेंटर : अपना स्कूल 
          कालरा प्रथम  
Saturday, April 2, 2011
Friday, April 1, 2011
शीर्षक : अप्रैल फूल
अप्रैल फूल 
सुनो - सुनो - सुनो ,
अरे हमरी बात तौ  सुनो | 
पता है आज फूल डे है , 
अरे हमका पता है कि आज हाफ डे है |
हाफ डे है , वो कैसे ? 
जैसे कि तुमका पता है कि आज फूल डे है |
[ तो क्या आप लोगों को पता है कि आज फूल डे है कि हाफ डे है ,जरा सोचिये और बताइए ]
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